हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा के बाद दोनों साध्वियों ने अपनी मातृभूमि में प्रवेश किया
आरएनई,बीकानेर।
जैन श्वेताम्बर खरतरगच्छ संघ की वरिष्ठ साध्वी प्रज्ञा भारती, महामांगलिक प्रदात्री चन्द्रप्रभा की शिष्या बीकानेर मूल की साध्वीश्री प्रभंजना श्री, व सुव्रताश्री (दोनों सांसारिक बहने) ने अपनी सहवृति साध्वीश्री चिद्यशा, कलानिधि, श्रद्धानिधि व नूतन साध्वीश्री कृतार्थ निधि श्रीजी ने गाजे बाजे के साथ 11 वर्षों के बाद अपनी मातृभूमि में प्रवेश किया। इन साध्वी वृंद का पिछला चातुर्मास पालीताणा में आचार्य श्री पीयूष सागर जी म.सा. के सान्निध्य में था।
बीकानेर मूल की साध्वियों की सांसारिक माता व विचक्षण महिला मंडल की प्रमुख श्राविका मूलाबाई दुगड़ ने बताया कि इन दोनों ने 1981 व 1986 में साध्वीश्री चन्द्रप्रभा से बीकानेर में ही पांच महाव्रत धारण किया। उन्होंने बताया कि गिरनार सहित विभिन्न तीर्थों की वंदना करते हुए हजारों किलोमीटर की पैदल यात्रा करते हुए बीकानेर पहुंची है।
साध्वीवृंद बीकानेर में अक्षया तृतीया पर साध्वीश्री चिद्यशा के दूसरे वर्षी तप व बीकानेर के श्रावक-श्राविकाओं के सामूहिक वर्षीतप पारणें में शामिल होगी। गौड़ी पार्श्वनाथ से सुगनजी महाराज के उपासरे तक नगर प्रवेश के जुलूस के दौरान अनेक स्थानों पर श्रावक-श्राविकाओं ने गंवली सजाकर साध्वीवृंद का स्वागत किया।
श्री सुगनजी महाराज का उपासरा ट्रस्ट के मंत्री रतन लाल नाहटा, श्री जिनेश्वर युवक परिषद के मंत्री मनीष नाहटा सहित अनेक गणमान्य श्रावक-श्राविकाओं ने साध्वीवृंद का स्वागत व अभिनंदन किया। साध्वीवृंद ने श्री चिंतामणि जैन मंदिर, आदिश्वर मंदिर में भी वंदना की। साध्वीश्री प्रभंजनाश्री ने जैन महासभा की ओर से गौड़ी पार्श्वनाथ में हुए समारोह में भी भागीदारी निभाई तथा महावीर स्वामी के आदर्शों का स्मरण दिलाया तथा मंगलपाठ सुनाया।