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यूपी सरकार ने की अपनी क्षेत्रीय भाषाओं की संभाल, राजस्थान करेगा क्या ?, यूपी में भोजपुरी व अवधी भाषा की अकादमियां खुलेगी
RNE Special
उत्तर प्रदेश सरकार ने पहली बार अपने बजट में अपनी क्षेत्रीय भाषाओं को महत्त्व देकर अपने प्रदेश के लोगों का दिल जीत लिया है। किसी भी राज्य के बजट में संभवतः पहली बार इस तरह से प्रदेश की भाषाओं को महत्त्व मिला है। इस कारण पूरे देश का बुद्धिजीवी जगत भी चकित है।
पहले बात यूपी के बजट और उसमें भाषाओं के उल्लेख की। राज्य सरकार ने अपने इस साल के बजट में अपने प्रदेश की प्रमुख भाषाओं भोजपुरी व अवधी को महत्त्व दिया है। इन भाषाओं के संरक्षण, साहित्य को प्रोत्साहन के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश में भोजपुरी व अवधी भाषा अकादमियां खोलने का निर्णय किया है। ये दोनों भाषाएं अपनी संवैधानिक मान्यता के लिए संघर्ष कर रही है और इस निर्णय से उनके संघर्ष को मान मिला है। इन क्षेत्रीय भाषाओं का साहित्य भी समृद्ध है। सरकार की इस घोषणा का सर्वत्र स्वागत हो रहा है।
राजस्थान कुछ सोचेगा क्या ??
राजस्थान में भी पहले से राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी स्थापित है। मगर वो पूरी तरह से सरकारी उपेक्षा का शिकार है। भले ही सरकार किसी भी दल की रही हो। पूरे समय इस अकादमी में अध्यक्ष नहीं रहता। कर्मचारी भी उधार से लिये हुए हैं। पद भरे नहीं जाते। पांच साल की सरकार बमुश्किल एक डेढ़ साल के लिए अध्यक्ष बनाती है।
उससे बड़ी बात ये है कि भाषा की मान्यता को लेकर सरकार कुछ नहीं कर रही। इस समय केंद्र व राज्य में एक ही दल की सरकार है, संवैधानिक मान्यता मिल सकती है। हर राज्य सरकार चाहे तो राजस्थानी को दूसरी राजभाषा तो बना ही सकती है। मगर 200 विधायक, 25 लोकसभा सदस्य व 10 राज्यसभा सदस्य भाषा को लेकर बोलना तो दूर सोचते भी नहीं।
यूपी सरकार के निर्णय से सोई सरकार जागे, निष्ठुर प्रशासन संवेदनशील बने, तो कोई बात हो। मगर सब इनसे निराश है। काश, नेताओं व प्रशासन का सोया जमीर जागे।