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युवा कविता के स्वर : आशीष, सोनाली, अक्षिता की राजस्थानी कविताओं ने साहित्य जगत का ध्यान खींचा

RNE Bikaner.

‘कांई लेयगी ही’ “क्यूं बदळ ज्यावंती ही मां” “अैनांण” “भरोसो” ये उन कविताओं के शीर्षक या काव्यांश हैं जो आशीष पुरोहित ने सुनाई। इसी तरह “लोग टुर जावै” “आज होवै अर, काल नीं रेवै” “केवण आळा केवै” आदि कविताएं सुनाई सोनाली सुथार ने।साहित्य अकादेमी के युवा पुरस्कार से सम्मानित इन कवियों के साथ ही तीसरी युवा कवयित्री अक्षिता जोशी ने भी अपनी रचनाओं के जरिये साहित्य जगत का ध्यान खींचा। अक्षिता ने “हिवङे री कौर नै इया किया थू बापू बांध दियौ अणजाण खूटै स्यु” और “चाल भाईला चाल आगला चालै जिया चाल..” जैसी कविताएं सुनाई।

राजस्थानी के इन कवियों के ये तेवर रविवार को “युवा कविता के स्वर” कार्यक्रम में सामने आए। सादूल राजस्थानी रिसर्च इंस्टीट्यूट की ओर से हुए इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के राजस्थानी विभाग की प्रभारी डाॅ. सन्तोष शेखावत थी। डॉक्टर शेखावत ने कहा, युवा कविता में विषयो की विविधता और जीवन के सभी रंग विधमान है। इन कवियों ने प्रेम की अद्भुत भाषा कविताओं के माध्यम से रखी है। डाॅ.कृष्ण लाल बिश्नोई ने तीनो युवा कवियों द्वारा प्रस्तुत की गई रचनाओं पर त्वरित टिप्पणी करते हुए कहा कि युवा स्वर राजस्थानी भाषा को समृद्ध करेंगे।

अध्यक्षता करते हुए कवि -कथाकार राजेन्द्र जोशी ने कहा कि युवा रचनाकारों को मातृभाषा के प्रति सजग रहने की जरूरत है। युवा पीढ़ी में तार्किक रुप से अपनी बात कहने की कोशिश होनी अनिवार्य है।

कार्यक्रम प्रभारी साहित्यकार राजाराम स्वर्णकार ने आयोजन की जानकारी देते हुए गत पांच कडियों की रिपोर्ट प्रस्तुत की। स्वर्णकार ने कहा, युवाओं को राजस्थानी भाषा से जोड़ना एवं निरंतरता बनाए रखना आवश्यक है। व्यंग्यकार संपादक डॉ अजय जोशी ने कहा कि नव किरण सृजन मंच युवाओं के लिए आयोजित कार्यक्रम में सदैव अग्रणी भूमिका निभाएगा।

कैलाश टाक,अब्दुल शकूर सिसोदिया, हरि शंकर पुरोहित ,रवि पुरोहित,मोनिका गौड, शंशाक शेखर जोशी, प्रोफेसर नरसिंह बिन्नाणी, महेश उपाध्याय, बी. एल नवीन, कासिम बीकानेरी, जुगल किशोर पुरोहित, पवन सोनी आदि मौजूद रहे।