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जोधपुर में इस बार बाहरी का मुद्दा भी बना, भाजपा की भीतरी कलह व रालोपा का भी असर पड़ेगा

 
RNE, BIKANER . पश्चिमी राजस्थान की जोधपुर लोकसभा सीट पर इस बार पूरे प्रदेश की निगाहें है। इस सीट से केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत लगातार तीसरी बार भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। कांग्रेस ने इस बार करण सिंह उचियारड़ा को टिकट देकर बड़ा दाव खेला है। पिछले चुनाव में केंद्रीय मंत्री सिंह ने सीएम अशोक गहलोत के पुत्र वैभव गहलोत को चुनाव हराया था। जोधपुर पूर्व सीएम गहलोत का गृह जिला है इसलिए इस पर पूरे राज्य की नजर है। गहलोत की साख भी दाव पर लगी है। कांग्रेस के उम्मीदवार करण सिंह काफी समय से लोकसभा व विधानसभा के लिए टिकट मांगते रहे हैं मगर जोधपुर की गुटीय राजनीति के कारण उनको टिकट नहीं मिला। मगर इस बार जब गहलोत के पुत्र वैभव को जालौर सिरोही सीट से मैदान में उतारा गया तो करण सिंह का भाग्य खुला। वे टिकट मिलने से उत्साहित भी है। सामाजिक, धार्मिक क्षेत्र में भी उनकी सक्रियता है। इसी कारण उन्होंने आरम्भ से ही चुनाव को रोचक जरूर बना दिया है। जोधपुर में इस बार बाहरी का मुद्दा भी बना, भाजपा की भीतरी कलह व रालोपा का भी असर पड़ेगा जोधपुर में कांग्रेस ने बाहरी बनाम स्थानीय के मुद्दे को बड़ा मुद्दा बनाने की कोशिश की है। गजेंद्र सिंह के सामने ये मुद्दा पहली बार इस रूप में आया है। कांग्रेस उनको शेखावाटी का बता रही है और अपने उम्मीदवार को स्थानीय बता अवसर देने की बात कह रही है। इस बात को कल नामांकन रैली में पीसीसी अध्यक्ष गोविंद डोटासरा ने भी तूल दी। अपने भाषण में उन्होंने भी इस बात को सही बताया। ये मुद्दा अब भाजपा के लिए थोड़ी परेशानी का तो सबब बना ही है। क्योंकि न केवल सफाई देनी पड़ रही है अपितु कई बार तो मौन भी रहना पड़ रहा है। जोधपुर में इस बार बाहरी का मुद्दा भी बना, भाजपा की भीतरी कलह व रालोपा का भी असर पड़ेगा इसके अलावा कांग्रेस ने नागौर सीट आरएलपी को देकर जो गठबंधन किया है, उसका भी लाभ उसे मिलेगा। कांग्रेस के करण सिंह के नामांकन में सचिन पायलट का भी शामिल होना एक राजनीतिक घटना है। मंच पर गहलोत व पायलट साथ थे। मगर दोनों गुटों के नेता पूरी तरह साथ रहेंगे तो ही कांग्रेस को लाभ मिलेगा। क्योंकि जोधपुर की कांग्रेस गुटबाजी से घिरी है, ये किसी से छिपा नहीं है। जोधपुर में इस बार बाहरी का मुद्दा भी बना, भाजपा की भीतरी कलह व रालोपा का भी असर पड़ेगा भाजपा भी भीतरी कलह का शिकार है। शेरगढ़ विधायक बाबूसिंह तो थोड़े समय पहले ही सांसद पर सार्वजनिक सभा मे विकास न करने के आरोप लगा चुके हैं। बाद में सीएम भजनलाल शर्मा ने मध्यस्थता कर मनमुटाव दूर कराया। बाबूसिंह व गजेंद्र सिंह की टकराहट जग जाहिर है। पूर्व सांसद जसवंत विश्नोई भी टिकट न मिलने से नाराज थे। उनको भी सीएम भजनलाल ने मनाया। आचार संहिता लगने से एक दिन पहले उनको राज्य के जीव जंतु कल्याण बोर्ड का अध्यक्ष पद दिया गया। मगर क्या ये सब डेमेज कंट्रोल धरातल पर उतरेंगे, ये ही आने वाला समय बतायेगा। जोधपुर में इस बार बाहरी का मुद्दा भी बना, भाजपा की भीतरी कलह व रालोपा का भी असर पड़ेगा आरएलपी का कांग्रेस को साथ भी गणित बदलेगा। हनुमान बेनीवाल को इसी कारण जोधपुर सीट पर प्रचार कराने के लिए बुलाया जा रहा है। उनके समर्थकों की उपस्थिति नामांकन रैली में भी थी। क्योंकि नागौर में आरएलपी तभी सफल हो सकती है जब कांग्रेस उसके साथ मन से खड़ी रहे। यही बात आरएलपी को लेकर जोधपुर में लागू है। भाजपा और कांग्रेस के अपने अपने मजबूत और कमजोर पक्ष है, जो कमजोरी दूर कर लेगा वो बढ़त बनायेगा। - मधु आचार्य ' आशावादी '