Heavy Rain Alert : हरियाणा, राजस्थान, यूपी में सात दिन होगी भारी वर्षा, मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट
मानसूर उत्तर भारत में फिर से सक्रिय होने वाला है। इसके चलते हरियाणा, राजस्थान, यूपी, मध्यप्रदेश में मूसलाधार बारिश होने वाली है। इसके लिए मौसम विभाग की तरफ से चेतावनी जारी कर दी है। अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव वाले क्षेत्र के प्रभाव से मैदानी इलाके में एक नया मौसमी सिस्टम विकसित हो रहा है, जो अगले एक सप्ताह तक कई राज्यों में भारी बारिश करा सकता है।
\राजस्थान के कोटा के पास भी एक निम्न दबाव का क्षेत्र बन रहा है, जो दिल्ली की ओर खिसक रहा है। यह उत्तर-पूर्वी राजस्थान और उससे सटे मध्य प्रदेश के ऊपर आएगा। इसके असर से कई क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी और कुछ स्थानों पर अत्यधिक भारी बारिश हो सकती है।
पूर्वी राजस्थान के पास हवा की दिशा पश्चिम से पूर्व की ओर मुड़ेगी, जिससे बहुत ऊंचाई तक मोटी परत का बादल बनेगा। इसका असर दिल्ली से मेरठ एवं टुंडला से लेकर लखनऊ तक होगा। इसके चलते दिल्ली, हरियाणा, उत्तर पूर्वी राजस्थान, उत्तरी मध्य प्रदेश एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भारी से अति भारी बारिश हो सकती है। एक ट्रफ लाइन बिहार से होकर भी गुजरेगी, जिससे बहुत दिनों बाद सूखा खत्म होगा। पहाड़ी क्षेत्रों में कहीं-कहीं बादल फटने की घटना भी हो सकती है।
मानसूनी वर्षा के असमान वितरण के कारण गंगा का मैदानी क्षेत्र अभी लगभग सूखा है। बिहार एवं पूर्वी उत्तर प्रदेश का मौसम कुछ वर्षों से अलग होता जा रहा है। जब देश भर में मानसून की अच्छी बारिश होती है तब इस इलाके में सूखे की स्थिति बन जाती है। इस बार भी अब तक ऐसा ही दिख रहा है। कई जिले ऐसे हैं, जहां 50 प्रतिशत से कम बारिश हो पाई है। अब बिहार का भी सूखा समाप्त हो सकता है। मौसम विभाग का मानना है कि सोमवार से बिहार के कई जिलों में रिमझिम बारिश का दौर शुरू होगा, जो कुछ दिनों तक जारी रह सकता है।
भारतीय मौसम विभाग (आइएमडी) के अनुसार उत्तर भारत एवं मध्य भारत में 22 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है, मगर यहां कमी वाले क्षेत्र ज्यादा हैं। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कई जिलों में सामान्य से कम बारिश हुई है। पूर्वी भारत में अभी तक सबसे ज्यादा बारिश झारखंड में हुई है, जहां लगभग 52 प्रतिशत की अधिकता है। हालांकि पूरे देश में सबसे ज्यादा वर्षा अभी तक पूर्वी मध्य प्रदेश में हुई है, जो सामान्य से 66 प्रतिशत ज्यादा है। सबसे कम बारिश मराठवाड़ा में 32 प्रतिशत ही हो पाई है।