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कांग्रेस के नजरिये से कमजोर सीट बीकानेर से करेंगे मिशन 25 की शुरुआत अमित शाह, कांग्रेस खेमा निष्क्रिय

आरएनई,बीकानेर।

भाजपा के लिए मिशन 25 की तिकड़ी बनाने के लिए गृहमंत्री अमित शाह कल कांग्रेस के नजरिये से सबसे कमजोर सीट बीकानेर से चुनाव अभियान की शुरुआत करेंगे। राज्य के नेताओं के अलावा वे संभाग के 5 जिले के नेताओं को जीत का मंत्र देंगे। बीकानेर संभाग में बीकानेर, श्रीगंगानगर व चुरू, तीन लोकसभा की सीटें है। कांग्रेस के नजरिये से बीकानेर की सीट कमजोर है। क्योंकि यहां वो चार चुनाव से लगातार हार रही है।

भाजपा को बीकानेर में पहली जीत महेन्द्र सिंह भाटी ने दिलाई।

भाटी के जरिये भाजपा की पहली जीत, उलटफेर : 

यूं बीकानेर में भाजपा की जीत का खाता पहली बार महेन्द्रसिंह भाटी ने 1996 में खोला  लेकिन उनका कार्यकाल लगभग दो साल ही रहा और कांग्रेस ने हाथ से निकलती सीट को वापस लाने बलराम जाखड़ जैसे दिग्गज को बीकानेर भेजा। जाखड़ ने जीत दर्ज की और सीट फिर कांग्रेस तेवर की बनाते हुए इस रामेश्वर डूडी को सौंप गए। ऐसे में भाजपा ने सिने अभिनेता धर्मेन्द्र को मैदान में ला यह सीट अपने खाते में ली। तब से ही लगातार चार चुनाव से यहां भाजपा का दबदबा है।

बलराम जाखड़ फिर से कांग्रेस के खाते में बीकानेर सीट लाए और अगले चुनाव में रामेश्वर डूडी जीते

पिछले चार में  से पहला चुनाव भाजपा की तरफ से सिने अभिनेता धर्मेंद्र ने लड़ा और जीते। फिर ये सीट एससी वर्ग के लिए परिसीमन में आरक्षित हो गई। तब पहला चुनाव भाजपा के अर्जुनराम मेघवाल ने मामूली अंतर से जीता।

जब भाजपा के पास कोई स्थानीय जिताऊ चेहरा नहीं बचा तब वसुंधरा राजे की पहल पर धर्मेन्द्र को मैदान में लाए

उस समय केंद्र में यूपीए की सरकार थी। मगर उन 5 सालों में मेघवाल ने दिल्ली व संसदीय क्षेत्र में अपनी मजबूत पकड़ बना ली। विपक्ष के नाते उन्होंने 5 साल का उपयोग पकड़ बनाने के लिए किया। उसका नतीजा दूसरे चुनाव में मिला जब उनकी जीत का अंतर डेढ़ लाख से अधिक का हो गया। इस कार्यकाल में उनको केंद्र में मंत्री पद भी मिला। वे राज्य मंत्री बने।

Sansad Ratna: “Arjun Ram Meghwal – Top performing Parliamentary debater”
मामूली रही अर्जुनराम की पहली जीत

संसदीय क्षेत्र में उनकी पकड़ तब और मजबूत हुई और दिल्ली में दलित राजनीति के वे बड़े चेहरे अपने काम से बन गये। सत्ता और संगठन, दोनों में उन्होंने काम किया। तीसरे चुनाव 2019 में तो उनकी जीत एकतरफा रही। तीन लाख से अधिक वोटों से वे चुनाव जीते और फिर से केंद्र में राज्य मंत्री बने। बाद में उन्हें स्वतंत्र प्रभार का कानून मंत्री बनाया गया। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर के बाद दलित समाज से कानून मंत्री बनने वाले दूसरे नेता बने। इस बार वे चौथा चुनाव लड़ने की तैयारी अर्जुनराम कर रहे हैं।

अब लगातार तीन जीत के साथ देश में दलित राजनीति के बड़े चेहरे

कांग्रेस चार चुनाव हारी है लगातार और हर बार उम्मीदवार अलग अलग है। धर्मेंद्र ने रामेश्वर डूडी को हराया। अर्जुनराम ने पहले चुनाव में रेवंतराम पंवार को, दूसरे चुनाव में शंकर पन्नू को व तीसरे चुनाव में मदन मेघवाल को हराया। कांग्रेस के अर्जुनराम के सामने कांग्रेस के अब तक के प्रयोग विफल हुए हैं। इस बार भी कांग्रेस के उम्मीदवार को लेकर स्थिति अब तो स्पष्ट नहीं है। मदन मेघवाल, मोडाराम मेघवाल व गोविंद मेघवाल का नाम टिकट के लिए चल रहा है। इनमें मदन मेघवाल पिछली बार हार चुके हैं और गोविंद मेघवाल अभी विधानसभा का चुनाव हारे हैं। मोडाराम मेघवाल अभी जिला प्रमुख है। उनकी सफलता के पीछे रामेश्वर डूडी थे, जो अस्वस्थ हैं।

बीकानेर से अमितशाह का तीन सीटों पर फोकस :

अमित शाह ने खास तौर पर बीकानेर को मिशन के लिए चुना है। क्योंकि विधानसभा चुनाव के परिणामों का विश्लेषण करें तो श्रीगंगानगर व चुरू में कांग्रेस ठीक है। भाजपा श्रीगंगानगर में बहुत कमजोर है। बीकानेर में ही भाजपा मजबूत है। बीकानेर संसदीय क्षेत्र की 8 सीटों में से भाजपा ने अभी 6 सीटें जीती है। इसीलिये भाजपा के लिए ये सीट मजबूत व कांग्रेस के लिए कमजोर है। शाह दोनों कमजोर सीटों के लिए जीत के मंत्र देंगे। हालांकि दोनों लोकसभा सीटें अभी भाजपा के ही पास है। कांग्रेस अभी भी बीकानेर सीट के लिए उम्मीदवार तलाश रही है, भाजपा इस मामले में उनसे आगे है। कांग्रेस के नेता एक बार फिर 27 को बीकानेर आ रहे हैं। देखना ये है कि शाह क्या रणनीति बनाते हैं और कांग्रेस कौनसा उम्मीदवार लाती है।

— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘