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क्यों नहीं रुकती पॉलीथिन, किसकी शह, कौन जिम्मेवार ??

  • शहर में पॉलीथिन पर प्रतिबंध है, मगर केवल कागजों में
  • हर दुकान पर, गाड़े पर उपलब्ध है पॉलीथिन
  • थोक में मिल रही है, तभी तो ला रहे है दुकानदार
  • शहर के सीवर सिस्टम को खुद जाम करा रहा प्रशासन
  • गौवंश के काल का वजह भी बन रही पॉलीथिन
  • प्रशासन की सख्ती व जनता की जागरूकता जरूरी

रितेश जोशी
ritesh joshi

RNE Special.

बीकानेर में पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगे एक लंबा अरसा हो गया। मगर लगता है यह प्रतिबंध केवल कागजों में लगा है, यथार्थ के धरातल पर तो प्रतिबंध क्या बंध भी लगा हुआ प्रतीत नहीं होता। धड़ल्ले से पॉलीथिन का उपयोग दुकानदार भी कर रहे है, जनता भी कर रही है।

पॉलीथिन पर प्रतिबंध बहुत सोच समझकर लगाया गया था। पूरे देश में इसको लेकर गहरी चिंता हो गई थी, तब जाकर इसे प्रतिबंधित करने का निर्णय हुआ। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पॉलीथिन के उपयोग से होने वाले खतरे बता इसको उपयोग करने का आग्रह मन की बात में कर चुके है।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने पर्यावरण को लेकर जो पांच संकल्प बनाये, उसका भी यह हिस्सा है। पॉलीथिन के कारण होने वाली बुराईयों को संघ के लोग लोगों को जागरूक करने के लिए बताते है। पर्यावरण बचेगा तो लोग बचेंगे। गौमाता बचेगी। पेड़ पौधे, पक्षी बचेंगे। इसी वजह से पॉलीथिन पर प्रतिबंध लगाया गया। मगर बीकानेर में यह प्रतिबंध केवल नाम का है, ये हर कोई जानता है।

जिधर जाईये, पॉलीथिन पाइये:

बड़ा बाजार हो या मोहता चौक, सब्जी बाजार हो या कोटगेट, स्टेशन रोड़ हो या पीबीएम रोड, मतलब कोई सा भी बाजार क्यों न हो। आप कुछ भी खरीदिये, सामान पॉलीथिन में मिलेगा। हर कोई पॉलीथिन में सामान ले जाता दिखाई देगा। सब्जी या फ्रूट बेचने वाला गाड़ा हो या सब्जी का ठेला, पॉलीथिन में ही सामान देगा। बड़ा मिठाई या नमकीन का दुकानदार हो, वो भी इसमें ही सामान देगा।

एक ग्राहक की गाड़े वाले से बात :

  •  तुम ये फ्रूट पॉलीथिन में कैसे दे रहे हो? इस पर प्रतिबंध है, तुमको पता है या नहीं।
  •  पता है, प्रतिबंध है।
  •  फिर भी दे रहे हो। किसी ने रोका नहीं।
  • आज तक तो किसी ने रोका नहीं।
  •  तुमको खुद रोकना चाहिए।
  • आपको फिर थैला घर से लाना चाहिए।
  • आपको कागज का पैकेट रखना चाहिए।
  • वो महंगा पड़ता है। जब बाजार में बिकती है पॉलीथिन तो वही लाएंगे। बंद करना है तो बिकना बंद कराओ। जो बेच रहा है पहले उसको पकड़ो। हम तो बनाते नही पॉलीथिन।

अब ग्राहक निरुत्तर था। उसकी बात तो सही थी। जब धड़ल्ले से बिक रही है तो लोग खरीदेंगे ही।

ये नुकसान तय है:

पॉलीथिन की थैलियां नष्ट नहीं होती। इनको जलाओ तो पूरा वायुमंडल प्रदूषित होता है। इनको फेंको और गौवंश खाये तो उनकी जान पर बन आती है। नालियों, नाले में फंसकर ये उनको जाम करती है और गंदा पानी सड़क पर फैलता है। जो कई बीमारियों का जनक होता है।

प्रशासन की सख्ती जरूरी:

प्रशासन की ढिलाई की वजह से पॉलीथिन पर प्रतिबंध नहीं लग रहा है। बड़े खतरे के बीच शहर आया हुआ है। सख्ती से पॉलीथिन की बिक्री बंद हो, दुकानदार उपयोग बंद करे। न करे तो कानून के अनुसार इनके खिलाफ कार्यवाही हो। जनता भी जागरूक हो। घर से कपड़े का थैला लेकर जाये। जो दुकानदार पॉलीथिन में सामान दे, उससे सामान न खरीदे। दोनों तरफ से प्रयास होंगे तभी पॉलीथिन की समस्या से हम बीकानेर को बचा सकेंगे।