मंत्रिमंडल विस्तार में क्या राजे समर्थकों को जगह मिलेगी, बड़ा सवाल यही
RNE Network
राज्य की भजनलाल सरकार का एक वर्ष पूरा हो गया। अब सबसे पहले जो काम होना है वो है मंत्रिमंडल विस्तार व पुनर्गठन का। राज्य में 6 मंत्री पद तो आरम्भ से ही खाली पड़े हैं और कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा त्यागपत्र दे चुके हैं, जिस पर निर्णय होना बाकी है। हाल ही में 7 सीटों पर उप चुनाव हुए जिसमें भाजपा ने बम्फर 5 सीट पर जीत हासिल की। अब सीएम के पास नये मंत्रियों के लिए कई बेहतर विकल्प है।
वर्तमान मंत्रियों का रिपोर्ट कार्ड भी सीएम ने तैयार किया है, जिसे पार्टी नेतृत्त्व को भी सौंप चुके हैं। इस आधार पर माना जा रहा है कि मंत्रिमंडल का न केवल विस्तार होगा अपितु पुनर्गठन भी होगा। कई मंत्रियों के विभागों में भी बदलाव निश्चित सा लगता है। मंत्रिमंडल के लिए जयपुर व दिल्ली के बीच सीएम आधा दर्जन से अधिक चक्कर निकाल चुके हैं। गृहमंत्री अमित शाह, जे पी नड्डा से भी चर्चा हो चुकी है। सीएम इसके अलावा प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ व भाजपा के राज्य प्रभारी राधा मोहन से भी चर्चा कर चुके हैं। विधायकों का दबाव भी है। अब मंत्रिमंडल विस्तार में देर भी काफी हो चुकी है।
तीन दिन पहले सीएम भजनलाल ने दिल्ली की यात्रा की थी। उस यात्रा में वे पार्टी के नेताओं से तो मिले ही, अचानक से वे पूर्व सीएम वसुंधरा राजे से मिलने भी खुद सिंधिया विला गये। विदित रहे कि कुछ दिन पहले राजे भी पीएम मोदी से मिली थी और राज्य सरकार के कामकाज पर अपनी बात रखी थी। राज्य की राजनीतिक स्थिति पर भी उनकी मोदी से बात हुई थी। उसके बाद सीएम का राजे से मिलना कई राजनीतिक बातों को जन्म दे गया। क्योंकि अभी राजे समर्थक विधायक मंत्रिमंडल में नहीं है। वे वरिष्ठ हैं और चुप बैठे हैं। राजे समर्थक विधायकों की संख्या कम भी नहीं है।
कालीचरण सर्राफ, बाबूसिंह राठौड़, अनिता भदेल , राजेन्द्र भांबू आदि वरिष्ठ है, मंत्री भी रहे हैं मगर अभी उनके पास सरकार में कोई दायित्त्व नहीं है। वे कोई टिप्पणी भी नहीं कर रहे। राजे की तरह उन्होंने भी मौन साधा हुआ है। बड़ा सवाल यही है कि क्या राजे समर्थकों को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी ? ये सवाल इतना बड़ा है कि इसका जवाब सीएम व पार्टी नेतृत्त्व के अलावा किसी के पास नहीं है। जिनकी तरफ से कोई संकेत नहीं दिया जा रहा। राजे व मोदी और फिर राजे व सीएम की मुलाकातों ने कुछ उम्मीद तो राजे समर्थक विधायकों में जगाई है। यदि राजे समर्थकों को मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला तो क्या वे अब भी चुप रहेंगे, ये यक्ष प्रश्न है। राजे की राजनीति को जो लोग जानते हैं उनको पता है कि वे अपनी बातों के लिए अड़ती भी बहुत है। सीएम भजनलाल के सामने राजे समर्थकों को लेकर बड़ा संकट है। इससे भी बड़ा संकट है किरोड़ीलाल मीणा के इस्तीफे का। स्वीकार नहीं होता है तो बाबा अपना स्वभाव तो बदलेंगे नहीं। स्वीकार हो जाता है यदि इस्तीफा तो एक बड़ा वर्ग नाराज होगा, ये तय है। खुले रहने पर बाबा सक्रिय भी ज्यादा रहेंगे और जनता के बीच ही जायेंगे।
कुल मिलाकर मंत्रिमंडल विस्तार व पुनर्गठन में बड़ा सवाल तो वसुंधरा राजे समर्थकों का ही रहेगा। इस सवाल का जवाब ही प्रदेश की आगे की राजनीति की सूरत को साफ करेगा।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।