
Bikaner Blast : सुशील सोनी की मौत, 16 दबे, 10 की मौत, 02 भर्ती, 04 को छुट्टी
RNE Bikaner.
बीकानेर के नयाकुआं इलाके में ब्लास्ट के साथ हुए हादसे का दर्द बढ़ता जा रहा है। इस हादसे में घायल एक और युवक की रविवार को मौत हो गई। ऐसे में अब तक 10 लोगों की जान जा चुकी है।
अब भी एक घायल जयपुर में और एक बीकानेर के पीबीएम ट्रोमा सेंटर बर्न यूनिट में भर्ती है। हादसे में घायल चार लोगों को हॉस्पिटल से छुट्टी दे दी गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार हॉस्पिटल में भर्ती हादसे के पीड़ित सुशील पुत्र जयप्रकाश सोनी, निवासी रामपुराबस्ती बीकानेर का रविवार सुबह निधन हो गया। सुशील के इलाज के लिये मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया था। सर्जरी विभागाध्यक्ष डा.मनोहर दवा का कहना है, बर्न होने के साथ ही हैड इंजरी होने से हालत काफी गंभीर थी।
पीबीएम हॉस्पिटल सुपरिटेंडेंट डा.सरेन्द्र वर्मा का कहना है, इस हादसे में घायल 16 व्यक्तियों को हॉस्पिटल लाया गया था। इनमें से अब तक 10 की मौत हो गई। एक हॉस्पिटल में भर्ती है। एक को परिजन जयपुर ले गये। बाकी चार लोगों की स्थिति ठीक होने से उन्हें छुट्टी दे दी गई।
अफसोस-न सहायता दी, न दोषी गिरफ्तार, न दर्द बांटा :
बीकानेर में 07 मई को हुए इस हादसे के बाद अब तक 04 दिन गुजर गये हैं। पीड़ित परिवारों सहित स्वर्णकार व सर्वसमाज को इस बात का अफसोस है कि बीकानेर के जनप्रतिनिधियों-प्रशासन और सरकार ने हादसे के पीड़ितों को सहायता देना तो दूर अब तक न्याय ही नहीं दिया है। आरोपी भवन मालिक को गिरफ्तार नहीं किया गया है।
सर्व समाज बैठा था धरने पर, देशहित में पीछे हटे :
अखिल भारतीय श्री ब्राह्मण स्वर्णकार महासभा की पूर्व अध्यक्ष मनीषा आर्य सोनी का कहना है, इस हादसे के बारे में जो सुनता है उसका दिल कांप जाता है। हैरानी की बात यह है कि हमारा प्रशासन, जनप्रतिनिधि इतने संवेदनाहीन कैसे हो सकते हैं। वे कहती हैं, इस हादसे में वो श्रमिक मारे गये हैं जो हर दिन काम करके अपना और परिवार का पेट पालते थे। इनमें से कइयों के चिरंजीवी कार्ड नहीं बने। दो-तीन मजदूर बंगाल के थे।

नियमानुसार दुर्घटना बीमा जो मिलना है उसकी भी अब तक प्रक्रिया नहीं हुई है। दोषी भवन मालिक की गिरफ्तारी नहीं हुई है। होना तो यह चाहिये था कि जनप्रतिनिधि-प्रशासन आगे बढ़कर अतिरिक्त सहायता की घोषणा करते। देश में युद्ध के हालात देखते हुए हमने धरना नहीं दिया, उन्हें भी अपने गिरेबान में झांककर देखना चाहिये कि पीड़ित परिवारों के लिए किया गया व्यवहार उचित है क्या ?
गौरतलब है कि हादसे के 24 घंटे तक पीड़ित परिवार की सुध लेने जब कोई नहीं आया तो आक्रोशित लोग धरने पर बैठ गये थे। इनमें स्वर्णकार समाज के मनीष लांबा, स्वर्णकार महासभा की पूर्व अध्यक्ष मनीषा आर्य सोनी, पूर्व महामंत्री महेंद्र कट्टा, पूर्व कोषाध्यक्ष रामेश्वर बाड़मेराए पूर्व सदस्य महेशचन्द्र कोटड़िया, सदस्य प्रेमप्रकाश महेचा, कांग्रेस नेता अब्दुल मजीद खोखर आदि इसमें शामिल रहे।
हादसे में अब तक इन 10 का निधन :
लोग मांग करते रहे, प्रशासन सोता रहा :
यहां हैरानी की एक बात यह है कि सिटी कोतवाली और सुनारों की गुवाड़ के इर्द-गिर्द ऐसे बीसियों छोटे-छोटे भवन है जिन्हें कटले (मार्केट) का रूप दे दिया गया है। एक-एक भवन में 30 से 40 दुकानें हैं।
लगभग एक साल पहले इस क्षेत्र के बाशिंदों ने जिला कलेक्टर को पत्र देकर इन भवनों को जान पर खतरा बताते हुए इन्हें सीज कर ध्वस्त करवाने की कार्रवाई की मांग उठाई थी। आक्रोशित लोगों का कहना है, इस मांग पर कार्रवाई होना तो दूर कोई सर्वे तक नहीं हुआ।
एसआईटी का गठन :
प्रदर्शनकारियों की ओर से उठाई गई मांगों में एक थी एसआईटी से मामले की जांच। इस मांग पर कार्रवाई करते हुए आईजी ओमप्रकाश के निर्देश पर सीओ सदर आईपीएस विशाल जांगिड़ की अध्यक्षता में एसआईटी का गठन किया गया है।
इस सीओ सिटी श्रवणदास, कोतवाली थानाधिकारी जसवीर कुमार, जेएनवीसी थानाधिकारी देवेन्द्र सोनी, हैड कांस्टेबल अब्दुल सत्तार शामिल हैं।