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परिवार में कोई भी सरकारी कर्मचारी है तो कोविड से माता-पिता खो चुके बच्चे को नहीं मिलेगी नियुक्ति

कलेक्टर को करना होगा आवेदन

जिले में पद नहीं तो संभागीय आयुक्त के पास जाएगी एप्लीकेशन

आरएनई,बीकानेर।

राजस्थान में कोरोना से अनाथ हुए बच्चों को सरकारी नौकरी देने की गहलोत सरकार की घोषणा को भाजपा की भजनलाल सरकार भी अमलीजामा पहनाएगी। इस अनुकंपा नियुक्ति के लिए बाकायदा प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार ने इसके नियमों में संशोधन करते हुए एक शर्त और जोड़ दी है। शर्त यह है कि यदि बच्चे के माता-पिता कोराना से जान गंवा चुके हैं तब वह अनुकंपा नियुक्ति का पात्र तो है लेकिन नौकरी तभी मिलेगी जब उसके परिवार मंे और कोई भी सदस्य सरकारी सेवा में नहीं होगा। सरकारी सेवा में केन्द्र, राज्य, बोर्ड, निगम आदि सभी माने जाएंगे।

ऐसे मिलेगी नियुक्ति:

  • राजस्थान का मूल निवासी हो।
  • पद के लिये शैक्षणिक व दूसरी योग्यताएं पूरी हो।
  • नियुक्ति के समय कम्प्यूटर की योग्यता जरूरी नहीं लेकिन तय समय अवधि में कम्प्यूटर परीक्षा उत्तीर्ण करनी होगी।
  • नियुक्ति के समय प्रशिक्षण, विभागीय परीक्षा, टाइप परीक्षा पर जोर नहीं दिया जाएगा लेकिन तीन साल की अवधि में परीक्षा उत्तीर्ण करने की अपेक्षा होगी।
  • इसमंे फेल होने पर नौकरी भी जा सकती है। जब तक यह परीक्षा पास नहीं करेंगे तब तक ग्रेड, पदोन्नति आदि के निर्णय भी नहीं होंगे।
  • दिव्यांगता वालों केा टंकण परीक्षा से छूट मिलेगी।
  • अनुकंपा नियुक्ति के लिए अनाथ को कलेक्टर कार्यालय में आवेदन करना होगा।
  • जिले में पद खाली नहीं होने पर इसे संभागीय आयुक्त को भेजा जाएगा।
  • संभाग में पद नहीं होने पर कार्मिक विभाग को भेजा जाएगा।

जिसके परिवार में सरकारी नौकर उन्हें नहीं मिलेगी नियुक्ति:

ऐसे अनाथ को नियुक्ति नहीं दी जाएगी जिसके माता-पिता की मृत्यु के समय या अनाथ की नियुक्ति के समय उसके कुटुंब का कोई भी सदस्य केन्द्र, राज्य या राज्य के अंश वाली यानी निगम, बोर्ड आदि में नियुक्त होगा तो उसे अनुकंपा नियुक्ति नहीं दी जाएगी।

ये माना जाएगा अनाथ:

इन नियमों के मुताबिक किसी के जैविक या दत्तक माता-पिता दोनों की 31 मार्च 2023 से पहले कोरोना से हो गई है तो वह अनाथ माना जाएगा। यदि माता-पिता दोनों में से किसी एक की पहले मृत्यु हो गई और बाद में दूसरे की कोरोना से मौत हुई तब भी अनाथ माना जाएगा। इसके साथ ही यह भी शर्त है कि कोरोना से मृत्यु के समय आश्रित बच्चे की उम्र 18 वर्ष से कम हो और वह पूरी तरह माता-पिता पर आश्रित हो।