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बिछ गई चुनावी बिसात, वही घोड़े, वही मैदान, अर्जुन की चौके पर नजर, कांग्रेस कैसे डालेगी असर

RNE, BIKANER.

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए एससी के लिए आरक्षित बीकानेर सीट के लिए अब राजनीतिक बिसात बिछ गई है। भाजपा और कांग्रेस ने अपने अपने उम्मीदवार घोषित कर दिये हैं। उम्मीदवारों ने चुनावी कदमताल भी शुरू कर दी है। भाजपा के केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल जहां अपनी जीत का चौका लगाने के लिए उतरे हैं तो भाजपा जीत का पंजा लगाना चाह रही है। चार हार के बाद कांग्रेस ने अपनी लगातार हार को लगाम लगाने की जिम्मेवारी गोविंद मेघवाल को दी है। जो पिछली गहलोत सरकार में कैबिनेट मंत्री थे और खाजूवाला से विधानसभा का चुनाव हार गये थे।

अर्जुनराम व गोविंद राम की राजनीतिक अदावत नई नहीं है। दोनों के बीच टकराहट तीन चुनाव में भी रहे है और गोविंद बयानों के तीर लगातार चलाते रहे हैं। वे एक बार बसपा के टिकट पर इनके खिलाफ चुनाव भी लड़ चुके हैं। अर्जुन के लिए चौथी बार वही घोड़े हैं, वही मैदान है। तीन चुनाव तो वो लगातार जीत का अंतर बढ़ाते रहे हैं, इस वैसा होगा या नहीं, ये भविष्य के गर्भ में है। 4 जून को इसका पता चलेगा।

अर्जुनराम को एडवांटेज जो हैं वो इस तरह है :

पहला ये कि क्षेत्र की 8 सीटों में से 6 पर भाजपा के विधायक है और वे बड़े वोटों से जीते हुए हैं। दूसरा ये कि वे तीन चुनाव जीते हुए हैं और क्षेत्र में सीधा संपर्क है। तीसरा ये कि वे केंद्र सरकार में मंत्री है देश में भाजपा की दलित राजनीति का बड़ा चेहरा है। चौथा ये कि इस चुनाव में लोग नरेंद्र मोदी के नाम पर वोट करते हैं। पांचवां ये कि भाजपा में किसी तरह की गुटबाजी नहीं है।

कांग्रेस ने तेज तर्रार व बयानों से चर्चा में रहने वाले गोविंद मेघवाल को उम्मीदवार बनाया है। उनके सामने लगातार चार बार कांग्रेस की हार का इतिहास है। हार से हताश कार्यकर्ताओं को सक्रिय किये बिना संघर्ष सम्भव नहीं। मगर कांग्रेस के पास भी पक्ष के कई कारण है। पहला ये कि लूणकरणसर, श्रीडूंगरगढ़ व कोलायत में यदि कांग्रेस के साथ विपक्ष के आरएलपी, माकपा व कांग्रेस के बागी के वोट मिले तो अंतर बढ़ सकता है। दूसरा नोखा व अनूपगढ़ सीटें कांग्रेस ने जीती हुई है। नोखा में झंवर के वोट भी भाजपा के विरोध के है। तीसरा गहलोत सरकार के काम है। मगर ये तभी सम्भव है जब कांग्रेस के नेता व कार्यकर्ता एक होकर जुटे और अपने चुनाव की तरह इस चुनाव को भी लड़ें। कुल मिलाकर ज्यों ज्यों चुनाव आगे बढ़ेगा स्थतियां स्पष्ट होती जायेगी।

– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘