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छपाक.. हर्षों की घाटी पर दो घंटे चला डोलची मार, गुलाल उड़ा, प्यार भरे उद्घोष लगाये

आरएनई, बीकानेर।

एक व्यक्ति के हाथ में चमड़े से बनी पानीभरी डोलची। उसके सामने पीठ किये खड़ा हुआ दूसरा शख्स जो जानता है कि अगले कुछ ही क्षणों में पीठ पर जोरदार प्रहार होने वाला है। इसके बावजूद बगैर चिंता, घबराहट या शिकन के वह इस प्रहार का इंतजार कर रहा है और इंतजार खत्म होता है पीठ पर पड़े पानी के प्रहार के साथ निकली तेज आवाज के साथ-छपाक।

मुसकुराता हुआ वह वार करने वाले को हाथ जोड़ता है। अब भूमिका और हाथों की डोलचियां बदल गई है। जिसने पहले वार सहा अब बारी उसकी है। वह भी यूं ही पूरे जोर से करता है प्रहार-छपाक।

ये महज दो शख्स नहीं वरन हर्षो के चौक से लेकर पूरी ढलान तक सैकड़ों लोग इसी तरह एक-दूसरे पर पानी का प्रहार कर रहे थे। इन सबके बीच लग रहे प्यारभरे उद्घोष एक-दूसरे के लिये। कभी-कभी उद्घोष के साथ युवाओं का जोश इतना बढ़ने लगता कि हालात तनाव भरा लगने लगता।

यह नजारा है बीकानेर के हर्षों के चौक का जहां गुरूवार को होली के मौके पर परंपरागत ‘हर्षों-व्यासों का खेल’ हुआ। पानी से एक-दूसरे पर जमकर प्रहार करने का यह खेल लगभग दो घंटे तक चला। इस दौरान सैकड़ों गैलन पानी का प्रहार एक-दूसरे की पीठ पर किया गया। कइयों की कमर लाल हो गई लेकिन हौसले ने साथ नहीं छोड़ा।

आखिरकर हर्षों के चौक में उड़ी गुलाल के साथ खेल के समापन की घोषणा की गई। हालांकि इसे बाकायदा जंग के रूप में लिया जाता है लेकिन समापन कुछ ऐसा लगता है कि ‘न तुम जीते न हम हारे’ जैसा भाव लिये दोनों पक्ष अपने-अपने चौक की तरफ बढ़ जाते हैं।

ऐसी होती है डोलची:

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