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बीएपी से कांग्रेस का गठबंधन न होना घाटे का सौदा, भाजपा के लिए फायदा

RNE, BKANER .

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस राजस्थान में माकपा व आरएलपी से तो गठबंधन करने में सफल रही मगर अंतिम समय तक कोशिश करने के बाद भी बांसवाड़ा सीट पर बीएपी से तालमेल नहीं हो सका। नामांकन के अंतिम समय मे कांग्रेस की तरफ से आखिरकार एनएसयूआई के प्रदेश सचिव अरविंद डामोर से पर्चा दाखिल कराया गया।


रालोपा को नागौर व माकपा को सीकर सीट देकर जैसे तैसे कांग्रेस गठबंधन कर सकी। मगर बीएपी किसी भी सूरत में उदयपुर सीट नहीं छोड़ना चाहती थी, इसलिए समझौता नहीं हो सका। बीएपी आदिवासी क्षेत्र में अपने भरोसे ही मैदान में उतर गई। अब बांसवाड़ा व उदयपुर सीट पर त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति बनी है, जो भाजपा के लिए राहत की बात है। भाजपा बांसवाड़ा सीट पर पहले ही कांग्रेस से आये दिग्गज नेता महेन्द्रजीत सिंह मालवीय को मैदान में उतार चुकी है। भाजपा राज्य में मिशन 25 पर काम कर रही है, पिछले दो लोकसभा चुनावों में वो इस मिशन में सफल भी रही है।


बीएपी से कांग्रेस का गठबंधन न होना 5 लोकसभा सीटों पर असर डालेगा। कांग्रेस बीएपी से गठबंधन कर बांसवाड़ा, उदयपुर के अलावा टोंक, धौलपुर सीटों पर भी फायदा लेना चाहती थी। नामांकन वापस लेने की तारीख तक कांग्रेस प्रयास करती लगती है। क्योंकि वो भाजपा के मिशन 25 को तीसरी बार रोकना चाहती है। ईआरसीपी का मुद्दा कांग्रेस ने खड़ा किया था मगर भाजपा ने राज्य में सरकार बनते ही उस पर समझौता कर बढ़त ली। जिस मुद्दे को कांग्रेस ने खड़ा किया उसका फायदा बीएपी लेना चाहती है। आदिवासी इलाके में अब ये बड़ा मुद्दा बनेगा और उसमें बीएपी व भाजपा के बीच ही टकराहट की बातें होगी। हालांकि राज्य की पिछली सरकार में बीएपी ने अशोक गहलोत का साथ दिया था नाजुक मौके पर, मगर चुनाव में वो गठबंधन को तैयार नहीं हुई। गठबंधन न होने पर कांग्रेस को बागीदौरा विधानसभा सीट पर भी अपना उम्मीदवार उतारना पड़ा। कांग्रेस ने कपूरसिंह को यहां से मैदान में उतारा है। ये सीट महेन्द्रजीत सिंह मालवीय के इस्तीफा देने से खाली हुई है। जो बांसवाड़ा से अब भाजपा के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ रहे हैं।


पूर्वी राजस्थान अब कांग्रेस के लिए कड़ी चुनोती बन गया है। जबकि पहले इस क्षेत्र में उसका वर्चस्व रहा था। इस बार भाजपा की रणनीति के सामने कांग्रेस कुछ नहीं कर पाई। अब पूर्वी राजस्थान की सीटों पर त्रिकोणीय मुकाबला है और रोचक चुनावी समीकरण बने हैं। अब समय तय करेगा कि किसको फायदा हुआ और किसको नुकसान।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘