जाटलेंड में भाजपा जयंत चौधरी के सहारे, कितना असर पड़ेगा, ये देखना जरूरी
RNE, BIKANER .
लोकसभा चुनाव 2024 में सबसे ज्यादा चर्चित क्षेत्र जो राजस्थान में है वो है पश्चिमी राजस्थान का जाटलेंड। यहां चुनावी सरगर्मी भी सबसे अधिक रहती है और ये क्षेत्र चुनावी हवा बनाने का भी काम करता है। पिछले दो आम चुनावों में इस क्षेत्र पर भाजपा का पूरा कब्जा रहा है, मगर भाजपा इस बार इसी क्षेत्र को लेकर ज्यादा गम्भीर है। जाटलेंड की सीटों पर उसने ज्यादा फोकस किया हुआ है। इस क्षेत्र पर भाजपा का ध्यान उस दिन से और ज्यादा बढ़ गया है जबसे गुजरात मे रुपाला के बयान के बाद राजपूत समाज सड़कों पर उतरा है। इस इलाके में इस समाज का भी वोट बैंक है। भाजपा इसी कारण पहले और दूसरे चरण के चुनाव को लेकर ज्यादा गम्भीर हो गई है और नई रणनीति पर काम कर रही है। इस इलाके में कांग्रेस तो पहले से माकपा व रालोपा को साथ लेकर ज्यादा आक्रामक है।
चूरू, सीकर, नागौर, श्रीगंगानगर, बीकानेर, जोधपुर, पाली व बाड़मेर की सीटों को राजनीतिक दृष्टि से जाटलेंड में माना जाता है क्योंकि इस समाज का यहां बाहुल्य है जिससे चुनाव परिणाम प्रभावित होता है। ये इस बात से साबित होता है कि चूरू, सीकर, बाड़मेर, नागौर में दोनों ही दलों की तरफ से इसी समाज के उम्मीदवार मैदान में है। इसी वजह से ये सभी हॉट सीटें बनी हुई है। बीकानेर की सीट भी एससी के लिए आरक्षित होने से पहले इसी श्रेणी में थी। तभी तो यहां से पूर्व लोकसभा अध्यक्ष दिवंगत बलराम जाखड़ भी चुनाव लड़ के जीते थे। महाराजा डॉ करणीसिंह जी के बाद यहां इसी समाज से सांसद रहा। मनफूल सिंह भादू, श्योपत सिंह, रामेश्वर डूडी। अब ये सीट एससी के लिए आरक्षित है मगर इस समाज का यहां अब भी बड़ा वोट बैंक है।
जाटलेंड इस बार खास इसलिए बना क्यूंकि भाजपा ने चूरू से लगातार दो चुनाव जीते अपने युवा सांसद राहुल कस्वां का टिकट काट दिया। कस्वां परिवार चूरू की राजनीति में 33 साल से वर्चस्व बनाये हुवै है। हालांकि भाजपा ने टिकट काटकर जिन देवेंद्र झांझड़िया को दिया वे भी इसी समाज से आते हैं। कस्वां परिवार आरम्भ से राजनीति में है और झांझड़िया अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी है। चूरू से टिकट कटते ही राहुल कांग्रेस में चले गये और वहां से टिकट ले आये। उन्होंने अब चूरू में चुनाव कस्वां बनाम राठौड़ कर दिया है।
जाटलेंड की सीटें इसी वजह से इस बार हॉट है। भाजपा ने नागौर से जाट नेता ज्योति मिर्धा को कांग्रेस से तोड़ा और विधानसभा चुनाव लड़ाया, वे हार गई। मगर लोकसभा में फिर से उम्मीदवार बनाया। मिर्धा परिवार से रिछपाल मिर्धा, तेजपाल आदि को भी भाजपा में लाये। जो भाजपा का राजनीतिक निर्णय था। ताकि जाटलेंड को पक्ष में किया जा सके।
मगर इस समाज को संतुलित करने के लिए भाजपा को अब चूरू, बीकानेर में आरएलडी के जयंत चौधरी को मैदान में उतारना पड़ा है जो चौधरी चरणसिंह के पोते हैं। हाल ही में सपा से अलग होकर एनडीए के साथ आये हैं। जाटलेंड की सीटों पर इस बार मुकाबला रोचक है और लोग कुछ भी राजनीतिक भविष्यवाणी से बच रहे हैं। चुनाव के अंतिम समय तक क्या होता है, उसकी प्रतीक्षा लोग कर रहे हैं।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘