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मां की हत्या मे बेटी को फंसाने की साज़िश रच रहे थे पुलिस वाले, नाबालिग ने खोला राज़

आरएनई,स्टेट ब्यूरो। 

एक महिला की गोली लगने से हुई हत्या के मामले में तत्कालीन SHO सहित 4 पुलिसकर्मी दोषी पाए गए हैं। कोर्ट ने चारों के विरुद्ध केस दर्ज करने के आदेश दिए हैं। मामला राजधानी जयपुर के मानसरोवर इलाके का है। अपना गुनाह छुपाने के लिए पुलिसकर्मी मृतका की नाबालिग बेटी को फसाने की साज़िश रच रहे थे।

ये था पूरा मामला

कोर्ट से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2021 में मानसरोवर थाना क्षेत्र में स्थित स्वर्ण पथ निवासी 38 वर्षीय सुमन की गोली लगने से हत्या हो गई थी। सुमन अलग अलग घरों में जाकर सफाई का काम करती थी। अगस्त 2021 में सुमन अपनी 14 साल की बेटी के साथ रामवीर के घर काम करने गई थी। उस दौरान रामवीर सुमन और उसकी बेटी को पिस्टल दिखा रहा था। तभी अचानक पिस्टल का ट्रिगर दब गया और गोली सीधी सुमन के सिर में लगी। ऐसे में सुमन की मौके पर ही मौत हो गई।

दो आरोपियों को किया था गिरफ्तार

हत्या के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और रामवीर सिंह को हिरासत में लिया। उससे पिस्टल बरामद की। पूछताछ में रामवीर ने बताया कि यह पिस्टल वह अपने दोस्त राजू से लेकर आया था। पुलिस ने राजू को भी गिरफ्तार किया। आर्म्स एक्ट और हत्या का मुकदमा दर्ज करके पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तार किए गए दोनों आरोपी अलवर के रहने वाले थे।

सुनवाई के दौरान खुला राज

हत्या की घटना के बाद पुलिस ने कई लोगों के बयान दर्ज किए जिनमें नाबालिग के बयान भी शामिल है। बाद में कोर्ट में भी बयान दर्ज हुए। कोर्ट में दिए गए बयान में नाबालिग ने पुलिस की हरकत के बारे में बताया। हालांकि नाबालिग को थाने में लेकर जाने के कोई साक्ष्य फिलहाल सामने नहीं आए हैं। मानसरोवर थाने के रोजनामचे में भी नाबालिग को थाने लाने का हवाला नहीं है। तत्कालीन एसएचओ दिलीप सोनी का कहना है कि उन्हें नाबालिग को थाने लाने के संबंध में कोई जानकारी नहीं है। मामले की जांच अब एसीपी संजय शर्मा कर रहे हैं।

नाबालिग को नहीं बुलाया जा सकता थाने

कानूनन किसी भी प्रकरण में पूछताछ के लिए नाबालिग को पुलिस थाने नहीं लाया जा सकता। अगर किसी प्रकरण में नाबालिग से पूछताछ करनी है तो बाल कल्याण समिति के सदस्यों के साथ पुलिस नाबालिग के घर जाकर उससे बात कर सकती है। नाबालिग के जो बयान सामने आए हैं। उनमें यह आरोप है कि पुलिस सुबह 11 बजे नाबालिग को थाने लेकर गई थी। दिनभर थाने में रखा और ऐसे सवाल पूछे कि तूने ही अपनी मां को गोली मारी थी ना। यानी पुलिस दबाव देकर नाबालिग से हत्या की वारदात कबूल कराने का प्रयास कर रही थी। कोर्ट की टिप्पणी के बाद एडिशनल डीसीपी क्राइम की ओर से तत्कालीन एसएचओ सहित 4 पुलिसकर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई।