Skip to main content

कोटा, जोधपुर व बाड़मेर में कांटे का मुकाबला, जातीय समीकरण करेगा बड़ा उलटफेर, दलों ने झोंकी ताकत

RNE, BIKANER .

राजस्थान में दूसरे चरण में शेष रही 13 सीटों पर मतदान होना है, जिसके लिए हर सीट पर कांटे की लड़ाई हो रही है। पहले चरण में जो कम मतदान हुआ उससे भाजपा व कांग्रेस, दोनों ही भीतर से हिले हुवै हैं। मतदान के प्रतिशत को बढ़ाने के लिए दोनों दल अब जातीय कार्ड खेल रहे हैं और इसी के आधार पर चुनाव वाले क्षेत्रों में अपने नेताओं को उतारा है। कांग्रेस जहां अपने राज्य के नेताओं के भरोसे है वहीं भाजपा सेलिब्रेटी को उतार वोटर को लुभाने का काम कर रही है। एक एक बूथ पर मेहनत हो रही है जिससे लगता है कड़ा संघर्ष हो रहा है। भाजपा के सामने जीत का पुराना आंकड़ा आगे ले जाने की चुनोती है तो कांग्रेस को इस बार राज्य में खाता खोलने की प्रतिष्ठा पर लड़ रही है। इसलिए 13 सीटों का मुकाबला अब रोचक स्थिति में पहुंच गया है।
राज्य की सर्वाधिक चर्चित सीट कोटा बन गई है। जहां लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला यहां भाजपा के टिकट पर फिर से मैदान में उतरे हुवै है तो कांग्रेस ने भाजपा से आये कद्दावर गुर्जर नेता प्रह्लाद गुंजल को उतारा है। गुंजल एक समय में वसुंधरा राजे के खास थे। उनकी व कांग्रेस नेता शांति धारीवाल की राजनीतिक लड़ाई जग जाहिर है। विधानसभा चुनाव भी दोनों ने आमने सामने लड़ी थी। जिसमें धारीवाल बहुत कम अंतर से चुनाव जीत पाये थे। वहीं धारीवाल अब गुंजल के लिए वोट मांग रहे हैं। बिरला का कद अब बड़ा है और उनका वर्चस्व भी है।
कोटा भाजपा के प्रभाव वाला इलाका माना जाता है और विधानसभा चुनाव में भी उसे बड़ी सफलता मिली थी। मगर इस बार ओम बिरला को कड़ी टक्कर मिली है, क्योंकि गुंजल उनकी पार्टी से ही निकले हुए हैं। इस लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस मीणा उम्मीदवार उतारती आई है, मगर इस बार गुर्जर को उतारा है। गुर्जर, मीणा व मुस्लिम मतों के गठजोड़ से कांग्रेस नैया पार लगानी चाहती है। कुल मिलाकर इस सीट पर मुकाबला कांटे का है।
चर्चा में जो दूसरी सीट है वो है जोधपुर। यहां भाजपा के उम्मीदवार केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का मुकाबला कांग्रेस के करणसिंह उचियारड़ा से है। राजपूत वोटों में इससे विभाजन तय है। वहीं विश्नोई समाज की नाराजगी भी भाजपा को झेलनी पड़ रही है, जिसे कुछ हद तक मैनेज किया गया है। इस सीट पर जाट मतदाताओं की भी खास भूमिका रहेगी। पिछली बार की तरह भाजपा की राह उतनी आसान नहीं , स्थानीय मुद्दे उठने के कारण इस सीट पर मुकाबला रोचक हो गया है।


बाड़मेर की सीट भी सर्वाधिक चर्चा में है। इस सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है। भाजपा से केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी मैदान में है तो कांग्रेस ने रालोपा से आये उमेदाराम को टिकट दिया है। इस मुकाबले को शिव के निर्दलीय विधायक रवींद्र सिंह भाटी ने तिकोना कर दिया है। भाटी की उपस्थिति ने भाजपा को कड़े संघर्ष में डाल दिया है। जाट वोट की बहुलता जिस तरफ जायेगी, उसका पलड़ा थोड़ा मजबूत ही होगा। भाजपा की चिंता का जोधपुर व बाड़मेर में चिंता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन दोनों सीटों पर फिल्म अभिनेत्री कंगना रनोत के रोड शो कराये गये हैं। बाड़मेर में तो खली को भी बुलाया गया। कुल मिलाकर इन तीनों सीटों के मुकाबले पर पूरे राज्य की नजर है, इस कारण ही ये सीटें खास बन गयी है।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘