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जाटलेंड की झुंझनु, सीकर, जयपुर ग्रामीण सीटें फंसी, कड़ी टक्कर, मतदाता नहीं दे रहा संकेत

RNE, BIKANER .

राजस्थान की सभी 25 सीटों पर दो चरण में मतदान पूरा हो गया। पहले चरण में मतदान का प्रतिशत कम रहा था, मगर दूसरे चरण में उसमें थोड़ा इजाफा हुआ। खासकर बाड़मेर, बांसवाड़ा व कोटा में बम्पर वोटिंग हुई। उस कारण ही मतदान का आंकड़ा बढ़ा। मगर इन सबके बावजूद झुंझनु एक ऐसी सीट रही जहां पिछले चुनाव की तुलना में 10 प्रतिशत से भी अधिक कम वोट पड़े। जो सबको अचंभे में डाले हुए है।


इस बार चुनाव में सर्वाधिक ध्यान राजनीतिक दलों व रुची रखने वालों का जाटलेंड था। पश्चिमी राजस्थान की सीटों को जाटलेंड के रूप में पुकारा जाता है। क्योंकि यहां इसी समुदाय के वोट अधिक हैं और वही हार जीत के आधार भी बनते हैं। इससे भी बड़ी बात ये है कि दोनों दल इन सीटों पर जाट उम्मीदवारों को हो प्राथमिकता से उतारते हैं।
इस बार जाटलेंड में एक खास तरह की लहर भीतर ही भीतर काम कर रही थी। पिछले चुनाव में जाटलेंड की सभी सीटें भाजपा ने जीती थी मगर इस बार इस इलाके में उसकी राह आसान नहीं। भाजपा ने इस बार चूरू सीट से अपने दो बार के सांसद राहुल कस्वां का टिकट काट दिया। कस्वां परिवार का जाट बेल्ट में 33 साल से दबदबा है। हालांकि उनका टिकट काटकर दिया दूसरे जाट देवेंद्र झांझड़िया को। जो खेल जगत की हस्ती है। कस्वां का टिकट कटना समाज को रास नहीं आया और वो विरोध में खड़े हो गये। इसी विरोध के कारण ही जाटलेंड की सीटें अब कड़े मुकाबले में फंसी हुई है।


सीकर सीट पर भाजपा ने फिर से सांसद सुमेधानन्द को उतारा तो कांग्रेस ने इंडिया गठबंधन के सहयोगी माकपा के अमराराम चौधरी पर भरोसा जताया। हाल ही में हुवै विधानसभा चुनाव में सीकर में कांग्रेस को अधिक सफलता मिली थी। शेखावाटी का ये इलाका पीसीसी अध्यक्ष गोविंद डोटासरा, राजेन्द्र पारीक, दीपेंद्र सिंह शेखावत, महादेव सिंह खंडेला का है। यहां सुमेधानन्द व अमराराम के बीच कड़ा मुकाबला है। मतदाता ने क्या किया, इसका वो जरा भी भान नहीं करा रहा


इसके बाद जाटलेंड की दूसरी सीट कांटे की टक्कर में उलझी है वो है झुंझनु। यहां स्व शीशराम ओला परिवार का दबदबा रहा है और कांग्रेस ने उनके ही पुत्र विधायक बृजेन्द्र ओला को उतारा हुआ है। भाजपा ने हाल ही में विधानसभा चुनाव हारे शुभकरण चौधरी को फिर खड़ा किया है। इस सीट पर मतदान भी कम हुआ है। इसी कारण इसे जाटलेंड की फंसी हुई सीट माना जा रहा है। जयपुर ग्रामीण सीट भी इस बार कांटे की टक्कर में फंसी हुई है।

भाजपा ने यहां राव राजेन्द्र सिंह को उतारा तो कांग्रेस ने पायलट समर्थक अनिल चौपड़ा को टिकट दी। इस सीट पर भी बड़ा जाट वोट है। पायलट ने जाट, गुर्जर, यादव व मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण से अनिल को जिताने की रणनीति पर काम किया। जातीय समीकरणों के कारण ये सीट भी परिणाम को लेकर फंसी हुई दिख रही है। इन तीनों सीटों पर परिणाम को लेकर लोग टिप्पणी से इस कारण बच रहे हैं, क्योंकि मतदाता वोटिंग के बाद भी मौन है, मुखरित नहीं हो रहा।
-मधु आचार्य ‘ आशावादी