कन्या भ्रूण हत्या महापाप है इसका कोई प्रायश्चित नहीं है:- प्रभु प्रेमी
आरएनई, नोखा।
लाखोटिया प्याऊ के पास राधा देवी लाहोटी द्वारा आयोजित हो रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवे दिन भागवत आचार्य कन्हैया लाल जी पालीवाल प्रभु प्रेमी महाराज ने कहा की आनंद हमारे भीतर है हम बाहर की भौतिक वस्तुओ मे आनंद ढूंढ़ते है।
भौतिक सुख सुविधाएं अस्थाई होती है, स्वयं प्रकट आनंद स्थाई होता है। महाराज ने कहा की ख़ुशी बाँटने से बढती है और दुख बाँटने से कम होता है। अपनी खुशियों को बांटो और दुसरो की प्रसन्ता मे खुद की प्रसन्ता का अनुभव करो। प्रभु प्रेमी जी ने दुसरो के काम आने को कहा।
पूतना वध प्रसंग मे महाराज ने कहा की पूतना बाल घातिनी थी। कन्या भ्रूण हत्या को महापाप बताते हुवे कहा की कन्या भ्रूण हत्या का कोई प्रायश्चित नहीं है। भ्रूण हत्या के महापाप से बचना और बचाना चाहिए। पहली संतान चाहे लड़का हो याँ लड़की उसका समान रूप से लालन पालन करना चाहिए।
माखन लीला प्रसंग की व्याख्या करते हुवे महाराज ने कहा की मन रूपी मक्खन भगवान को प्रिय है इसलिए अपने निर्मल मन को भगवान को समर्पित कर दे। आयोजक सीताराम लाहोटी ने बताया कि गौ सेवार्थ राशियाँ प्रभु प्रेमी महाराज की प्रेरणा से गौ भक्त भेंट कर रहे है।
इक्कावन हजार (51000) की राशि समाजसेवी मुकेश लखारा ने, इक्कतिस हज़ार (31000) समाजसेवी रामनारायण शिवकरण डेलू काकड़ा, इग्यारह हज़ार (11000) रूपये सी. ए. सुरेश झंवर ने,इग्यारह हज़ार रूपये (11000) तुषार लाखोटिया ने,इक्कावन हज़ार रूपये (51000) गुप्तदान गोसेवार्थ भेंट किये गये है। अभी गोसेवार्थ राशि आ रही है कथा के सातवे दिन गौशालाओ को प्रभु प्रेमी महाराज भेंट करेंगे।
आयोजक राधादेवी लाहोटी, जुगालकिशोर, नंदकिशोर, राजू, संतोष कुमार, संगीता हनुमान व्यास, देव किशन व्यास, मनोज सोनी, ओम जोशी, आदि व्यवस्थाओं में लगे हुए हैं। कथा में मीरा जी की झांकी बालकृष्ण के साथ सजाई गई।