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Jodhpur High Court में अरावली रिसोर्सेज और इकोसेफ इंफ्राप्रोजेक्ट की याचिकाएं खारिज, बजरी प्लॉटों की नीलामी की रास्ता साफ

  • अरावली रिसोर्सेज की तीनों याचिकाएं खारिज
  • -इकोसेफ इंफ्राप्रोजेक्ट की याचिका पर स्टे आदेश निरस्त

RNE Network, Jaipur।

Rajasthan High Court, Jodhpur के एक निर्णय के साथ ही राज्य में बजरी खदानों की नीलामी की राह प्रशस्त हो गई है। उच्च न्यायालय जोधपुर ने बजरी नीलामी से संबंधित पांच याचिकाओं पर राज्य सरकार के पक्ष में निर्णय करते हुए चार याचिकाएं खारिज कर दी हैं वहीं एक याचिका पर दिए गए स्टे आदेश को भी निरस्त कर दिया है।

मामला ये है :
खनिज विभाग द्वारा करीब 100 हैक्टेयर की भीलवाड़ा क्षेत्र की प्लॉट 2, 5 और 6 नंबर बजरी खदानों की नीलामी में अरावली रिसोर्सेज द्वारा अधिकतम बोली लगाई गई थी। सफल नीलामी के बाद संबंधित बोलीदाता द्वारा 15 दिन में 40 प्रतिशत राशि राज्य सरकार को जमा करानी थी।

अरावली रिसोर्सेज द्वारा 40 प्रतिशत राशि जमा कराने के स्थान पर कोर्ट में नीलामी शर्तों पर प्रश्न उठाते हुए याचिका दायर कर दी। इसके साथ ही 40 प्रतिशत राशि जमा नहीं कराने के कारण राज्य सरकार द्वारा नियमानुसार फोरफिट की गई राशि के खिलाफ माननीय न्यायालय में वाद दायर कर दिया। ऐसे में बजरी नीलामी प्रक्रिया बाधित हो गई।

सरकार ने सिक्योरिटी राशि जब्त की :
राज्य सरकार द्वारा अरावली रिसोर्सेज फर्म के तीनों प्लाटों की नीलामी में हिस्सा लेते समय नियमानुसार जमा कराई गई बीड सिक्योरिटी की राशि 40-40 लाख रु. प्रति प्लॉट राशि कुल एक करोड़ 20 लाख रु. नियमानुसार राजकोष में जमा कर लिए गए। इसी तरह से इकोसेफ इंफ्राप्रोजेक्ट द्वारा बजरी के दो प्लाटों की नीलामी प्रक्रिया को रुकवाने के लिए वाद जारी कर दिया था जिसमें से एक में स्टे हो गया था।

कोर्ट ने सरकारी कार्यवाही को सही माना :
उच्च न्यायालय जोधपुर ने सरकार द्वारा की गई कार्यवाही को सही ठहराते हुए अरावली रिसोर्सेज की तीन याचिकाओं सहित चार याचिकाओं को खारिज करने के साथ ही इको इंफ्राप्रोजेक्ट की एक याचिका पर पूर्व में जारी स्टे आदेश को भी निरस्त कर दिया।

विभागीय पक्ष पुख्तगी से रखने का नतीजा :
उल्लेखनीय है कि न्यायालयों में विचाराधीन प्रकरणों की राज्य सरकार स्तर पर सचिव माइंस एवं विभाग स्तर पर डीएमजी द्वारा नियमित मोनेटरिंग के कारण विभागीय पक्ष को समय पर प्रभावी तरीके से रखा जा रहा है। सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो रहे हैं। राज्य सरकार की और से अतिरिक्त महाधिवक्ता महावीर विश्नोई ने प्रभावी तरीके से विभाग का पक्ष रखते हुए पैरवी की। दो प्रकरणों में अतिरिक्त निदेशक बीएस सोढ़ा प्रभारी अधिकारी थे और तीन याचिकाओं में एसएमई भीलवाडा ओपी काबरा प्रभारी अधिकारी थे। जोधपुर उच्च न्यायालय में खान विभाग के प्रकरणों की मोनेटरिंग एमई रिट दीपक गहलोत द्वारा की जा रही है।

नीलामी के साथ सुलभ होगी बजरी :
उच्च न्यायालय द्वारा याचिकाओं को निस्तारित करने से अब इन प्लाटों की नीलामी या अग्रिम कार्रवाई की राह प्रशस्त हो गई है। नए सिरे से नीलामी होने से इन क्षेत्रों में बजरी का वैध खनन हो सकेगा वहीं आमजनों को बजरी की उपलब्धता सुनिश्चित हो सकेगी। बजरी सीधे आम आदमी से जुड़ा होने से राज्य सरकार बजरी को लेकर गंभीर है।

प्रदेश में बजरी के अवैध खनन, परिवहन और भण्डारण पर रोक लगाने के साथ ही वैध बजरी की सहज उपलब्धता के लिए राज्य सरकार द्वारा कारगर प्रयास किये जा रहे हैं। नीलामी के बाद की परिस्थितियों के दौरान राज्य सरकार द्वारा प्रभावी तरीके से पक्ष रखते हुए याचिकाओं को जल्द से जल्द निस्तारित कराने के प्रयास किये गये।