आचार्य श्री महाश्रमण का 51 वां दीक्षा दिवस “युवा दिवस” के रूप में मनाया
RNE, BIKANER .
श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा, गंगाशहर द्वारा युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण का 51वां दीक्षा दिवस “युवा दिवस” के रूप में मनाया। सेवाकेंद्र व्यवस्थापिका साध्वी चरितार्थ प्रभा जी ने कहा कि आचार्य श्री महाश्रमण का जीवन एक कुशल प्रबंधक का जीवन है।
आज से 50 वर्ष पूर्व उन्होंने सरदारशहर में दीक्षा ग्रहण की। उन्होंने सांसारिक जीवन व साधु जीवन के बारे में तुलनात्मक चिंतन करने के उपरांत वैराग्य धारण किया। उनका समय प्रबंधन, शक्ति प्रबंधन शानदार है।
साध्वी प्रांजल प्रभा जी ने आचार्य श्री महाश्रमण के जीवन प्रसंग सुनाये। कहा, अनुकंपा उनका विशिष्ट गुण है। अनुकंपा दो प्रकार की होती है पहली स्व प्रतिष्ठित अनुकंपा तथा दूसरी पर प्रतिष्ठित अनुकंपा। स्वप्रतिष्ठित अनुकंपा के द्वारा व्यक्ति अपनी आत्मा की सतत रक्षा करता है। आप जीव विराधना के प्रति अत्यंत सजग रहते हैं। हर समय इतने जागरूक रहते हैं कि कहीं जीवों की हिंसा न हो जाए।
साध्वी ध्रुव रेखा जी ने कहा कि आज ही के दिन आचार्य श्री ने प्रवृत्ति से निवृत्ति अथवा असंयम से संयम की ओर प्रस्थान किया था। साध्वी कंचन रेखा जी ने उनके समर्पण और सेवा भावनाओं को अद्भुत बताया। साध्वीवृन्द ने लयबद्ध प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम के माध्यम से बहुत ही आकर्षक तरीके से आचार्य श्री के अवदानों की प्रस्तुति दी।
कार्यक्रम का शुभारंभ मोहनलाल भंसाली द्वारा प्रस्तुत काव्य पाठ से किया गया। तेरापंथी सभा के अध्यक्ष अमरचंद सोनी, तेरापंथ युवक परिषद के उपाध्यक्ष ललित राखेचा ने अपनी भावनाएं व्यक्त की। युवक परिषद के पदाधिकारियों ने युवादृष्टि के विशेषांक “चमन के बागबां” निवेदित की। युवक परिषद व किशोर मंडल के साथियों ने सामूहिक सामायिक कर अपनी अभिवंदना प्रस्तुत की।
कन्या मंडल द्वारा प्रस्तुत नाटिका सबके आकर्षण का केंद्र रही। महिला मंडल द्वारा “महाश्रमण की गौरव गाथा” की लयबद्ध प्रस्तुति दी गई। प्रस्तुति के साथ 6 विशेष संकल्प करवाए गए। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथी सभा के मंत्री रतन लाल छलाणी ने किया।