राज्य के एग्जिट पोल सही रहे तो भाजपा में बड़े बदलाव के आसार, कांग्रेस में तो चेहरे बदलने तय
आरएनई,स्टेट ब्यूरो।
18 वीं लोकसभा के चुनाव परिणाम कल आ जायेंगे। दो दिन से एग्जिट पोल पर बहस हो रही है और इसके पक्ष विपक्ष पर चर्चा गर्म है। एग्जिट पोल हालांकि खरे तो काफी समय से साबित नहीं हो रहे, फिर जिनको अपने पक्ष के लगते हैं वे इनको आधार बनाकर ही बहस कर रहे हैं। जिनके फेवर में नहीं है एग्जिट पोल वे तो इसे पूरी तरह नकार भी रहे हैं। एग्जिट पोल का सच तो कल सामने आ ही जायेगा। एक बार फिर इनकी सत्यता पता भी चल जायेगी। मगर इनके आने के बाद से भाजपा व कांग्रेस ने पार्टी के स्तर पर मंथन अवश्य शुरू कर दिया है।
राजस्थान के एग्जिट पोल की बात करें तो सभी टीवी चैनल्स का मानना है कि इस बार राज्य में कांग्रेस का खाता खुलेगा। ये बात तो राजनीतिक विश्लेषक भी आरम्भ से कह रहे हैं। 2014 व 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने क्लीन स्वीप किया था और सभी 25 सीटें जीती थी। इस बार भी लक्ष्य वही रखा गया था और जीत का अंतर बढ़ाने का मिशन था। उस सूरत में यदि क्लीन स्वीप नहीं हो रही है तो पार्टी नेतृत्त्व का नाराज होना स्वाभाविक है।
एग्जिट पोल भाजपा को अधिकतम 22 और न्यूनतम 18 सीट दे रहा है। जाहिर है, पार्टी भले ही केंद्र में सत्ता में आये मगर राजस्थान में तो उसे घाटा ही उठाना पड़ेगा। जो भाजपा दक्षिण के कुछ राज्यों में व उत्तर के भी अनेक राज्यों में नफा ले रही हो उसे एक राज्य में ये घाटा सहन कैसे होगा। उसका आंकलन तो यही रहेगा कि यहां पार्टी व सरकार में ऑल इज वैल नहीं है। जो किसी भी पार्टी नेतृत्त्व के चिंता की स्वाभाविक वजह है। भाजपा को भी एग्जिट पोल से ही ये चिंता होने लग गई है।
दो दिन पहले प्रदेश भाजपा मुख्यालय में यानी एग्जिट पोल के दिन नेताओं की बैठक भी हो चुकी है। पार्टी का दिल्ली नेतृत्त्व भी एग्जिट पोल की अपने स्तर पर रिव्यू कर ही रहा है। परिणामों के बाद तो वो निर्ममता से रिव्यू करेगा। वोटिंग के बाद उसने लोकसभा प्रभारियों से रिपोर्ट भी ली है। उम्मीदवारों से भी फीडबैक लिया गया है और उन पदाधिकारियों की जानकारी ली है जो निष्क्रिय थे या विरोध में थे। कई बड़े नेताओं की विगत भी जानी गई है। ये सभी रिपोर्ट पार्टी ले चुकी है।
चुनाव परिणामों के बाद तो उन पर निर्णय किया जाना है। नतीजों के अनुसार ही चेहरे बदले जायेंगे और नयों को जिम्मेवारी दी जायेगी। संगठन का नीचे से ऊपर तक चेहरा भी बदलेगा, यदि एग्जिट पोल सही साबित होते हैं तो। अभी मंत्रिमंडल पूरा गठित होना है, उसका आधार भी चुनाव परिणाम ही रहेंगे। कुल मिलाकर एग्जिट पोल ने भाजपा के कई नेताओं की धड़कनें बढ़ा दी है। क्योंकि यदि परिणाम इसी अनुरूप रहे तो बड़े स्तर पर बदलाव निश्चित है।
दूसरी तरफ कांग्रेस के लिए एग्जिट पोल ज्यादा उत्साहजनक नहीं है। बड़ी सफलता राज्य में मिलती तो कम बदलाव होते मगर एग्जिट पोल के अनुसार परिणाम रहते हैं तो बड़ा बदलाव तय है। नया चेहरा सामने करना कांग्रेस की मजबूरी भी होगा। कुल मिलाकर एग्जिट पोल के बाद कल आने वाले परिणाम राज्य में दोनों पार्टियों के भीतर बदलाव की नींव रखेंगे, ये तय है।
- मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘