प्रोफेसर बिश्नोई लोक से हदभांत जुड़े हुए थे : डाॅ. राजपुरोहित
RNE, BIKANER .
राजस्थानी भाषा साहित्य के प्रतिष्ठित विद्वान एवं जेएनवीयू में राजस्थानी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रोफेसर (डाॅ.) सोनाराम बिश्नोई के आकस्मिक निधन होने पर राजस्थानी विभाग के शिक्षकों एवं शोध छात्रों द्वारा बुधवार को पुष्पांजलि सभा का आयोजन कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की गई।
राजस्थानी विभागाध्यक्ष डाॅ.गजेसिंह राजपुरोहित ने प्रोफेसर (डाॅ.) सोनाराम बिश्नोई के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर उनके निधन को राजस्थानी भाषा एवं साहित्य जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया। इस अवसर पर प्रोफेसर बिश्नोई द्वारा किये गए उल्लेखनीय साहित्यिक कार्यो का स्मरण करते हुए डाॅ. राजपुरोहित ने कहा कि धुन के धनी प्रोफेसर बिश्नोई राजस्थानी लोक से हदभांत जुड़े हुए थे ।
उन्होंने लोक देवता बाबा रामदेवजी के जीवन-चरित्र पर बहुत ही महत्वपूर्ण एवं प्रामाणिक साहित्यिक – शोध कार्य किया है जो अपने आप में अद्भुत है । प्रोफेसर सोनाराम बिश्नोई 31 मई 2006 को राजस्थानी विभागाध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुए थे । सहायक आचार्य डाॅ. मीनाक्षी बोराणा ने प्रोफेसर बिश्नोई के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए उन्हें मायड़ भाषा का सच्चा सपूत एवं नेकदिल इंशान बताया।
इस अवसर पर अतिथि शिक्षक जगदीश मेघवाल, विष्णुशंकर, मगराज, विकास परमार, माधोसिंह, शांतिलाल सहित राजस्थानी विभाग के कर्मचारियों एवं शोध छात्रों ने पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि अर्पित की ।