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KOLAYAT : ग्रामीणों ने बरसाती पानी के स्टोरेज के लिए की खुदाई व मरम्मत, प्रधान प्रतिनिधि ने काम को सराहा, दिया सहयोग

RNE, KOLAYAT .

पेयजल किल्लत से एक ओर जहां पुरे प्रदेश में त्राही-त्राही मची हुई है, वहीं सीमावर्ती गांव सेवड़ा के ग्रामीणों ने वर्षाती पानी के स्टोरेज के लिए गांव की चंद्राह तलाई की खुदाई व मरम्मत शुरू कर दी। जिससे गांव में वर्षो से बने पेयजल संकट से छुटकारा मिल सके। सबसे बड़ी बात यह कि इसमें सरकार से कोई सहायता नहीं ली गई है। यकिनन पेयजल संकट से जुझ रहे अन्य गांवों के लिए एक मिसाल होगी, कि परम्परागत तरीके से पेयजल किल्लत को दूर किया जा सकता है।

सेवड़ा सरपंच प्रतिनिधि छोटू सिंह भाटी के अनुसार पिछले कई वर्षो से गांव में पेयजल किल्लत सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। पानी की खरीद जैसलमेर जिले के नोख गांव (10 किमी) से की जाती है जिसमें ग्रामीणों को प्रति दो दिन में एक हजार से डेढ हजार तक खर्च करने को विवश होना पड़ता है। समस्या को लेकर कई बार जनप्रतिनिधियों से लेकर अधिकारियों तक फरियाद भी लगाई लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। ऐसे में एक महिने पहले निर्णय लिया कि गांवस्तर पर ही समस्या को सुलझाया जाएगा। सरपंच कमला कंवर ने एक महिने पहले ट्रेक्टर-ट्रॉली तथा लेबर लगाकर चंद्राह तलाई की करीब 400 बीघा में फैली आगोर की साफ-सफाई शुरू करवा दी। सरपंच ने बताया कि डेढ महिने से काम चल रहा है अगले एक पखवाडे में काम को पूर्ण कर दिया जाएगा।

मौके पर पहुंचे प्रधान प्रतिनिधि, काम को सराहा, दिया सहयोग

बीकानेर जिले से 130 किमी दूर सेवड़ा में चल रहे ग्रामीणों के काम की सूचना मिलने पर प्रधान प्रतिनिधि भागीरथ तेतरवाल मौके पर पहुंचे तथा ग्रामीणों द्वारा जलसंचय के लिए किए जा रहे कार्य को देखा। प्रधान प्रतिनिधि तेतरवाल ने कहा कि वाकई में यह सराहनीय कार्य है। ऐसे जलस्त्रोत पेयजल किल्लत को दूर करने में सार्थक साबित होंगे। उन्होंने ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा कि प्रत्येक ग्रामीण इस पुनीत कार्य का हिस्सा बने। साथ ही 5-5 तगारी (कुंडे) मिट्टी तलाई क्षेत्र में डालने की बात कही।

प्रधान प्रतिनिधि खुदाई के लिए एलएनटी मशीन चलाने की घोेषणा की। इस अवसर पर हरिप्रसाद राठी, रानीदान सुथार, बाबूलाल पुरोहित, डूंगरसिंह, भंवर पुरी, विक्रम, श्याम राठी, अणदाराम, भंवरलाल इणखिया, दीपाराम, किषन सिंह, धुडाराम, कानाराम आदि ग्रामीण मौजूद थे।

लोग जुड़ते रहे कारवां बढता रहा…

मैनें एक-डेढ़ महिने पहले ही सोच लिया था कि काम तो करवाना है चाहे ग्रामीण मेरा साथ दे या नहीं। मुझे गांव की इस सबसे बड़ी समस्या से छुटकारा पाना ही है। ग्रामीणों से बात की, ग्रामीणों ने भी समर्थन किया, लेकिन तलाई खुदाई के लिए 10-15 लाख की लागत का काम असंभव सा लगा। परंतु ग्रामीणों ने साथ दिया। धीरे-धीरे ग्रामीण आर्थिक सहयोग, संसाधनों का सहयोग करने लगे। नतीजा यह काम सार्थक होने की कगार पर है। जैसा सरपंच छोटूसिंह भाटी ने “आरएनई”  को बताया।

अच्छी बारिश हुई तो एक साल पेयजल संकट से छुटकारा

सरपंच छोटूसिंह भाटी ने बताया कि चंद्राह तलाई 20 बीघा में है, जिसकी गहराई 15-20 फुट होगी। तलाई का पायतन क्षेत्र भी करीब 400 बीघा का है। ऐसे में यदि अच्छी बारिश हुई ओर तलाई लबालब हो गई तो एक साल के लिए ग्रामीणों को पानी की समस्या से जुझना नहीं पडेगा। उन्होंने बताया कि पायतन के रास्ते को साफ करवा दिया गया है। पायतन में पानी का ठहराव ना हो इसकी भी व्यवस्था कर दी। जिससे अधिक से अधिक पानी तलाई में पहुंचे।