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हाईकोर्ट ने समस्त परिलाभ चार माह के भीतर देने का आदेश दिया

आरएनई,स्टेट ब्यूरो। 

राजस्थान का बहुचर्चित भंवरी देवी अपहरण और हत्याकांड के मामले को लेकर एक खास खबर सामने आई है। राजस्थान हाईकोर्ट में एएनएम भंवरी देवी के पुत्र और पुत्री की ओर से पेंशन के परिलाभ नहीं मिलने पर याचिका लगाई गई थी। याचिका पर सुनवाई करते हुए राजस्थान हाईकोर्ट ने मृतका भंवरी देवी के पति अमरचंद के अलावा उनके अन्य वारिश याचीगण को 1 सितंबर, साल 2011 से बकाया सेवा परिलाभ, नियमित पेंशन और सेवानिवृत्ति परिलाभ की गणना कर समस्त परिलाभ चार माह के भीतर देने के आदेश दिए हैं।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि एक तरफ चिकित्सा विभाग में मृतक भंवरी देवी की मृत्यु 1 सितंबर साल 2011 को होना मानी गई और उसके पुत्र साहिल को अनुकंपा नियुक्ति भी दे दी गई, लेकिन भंवरी देवी का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं होने की बात कहकर बकाया सेवा परिलाभ, नियमित पेंशन और सेवानिवृत्ति परिलाभ देने से मना कर दिया गया। अधिवक्ता ने बताया कि याचिकार्ता ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने के लिए पहले जिला कलेक्टर जोधपुर को आवेदन किया. उसके बाद उप कलेक्टर के आदेश पर फिर तहसीलदार पीपाड़ सिटी जिला जोधपुर को आवेदन किया।

भंवरी देवी का मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं किया गया जारी

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि तहसीलदार पीपाड़ सिटी ने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने से यह कहकर मना कर दिया कि भंवरी देवी की मृत्यु उनके क्षेत्राधिकार में नहीं हुई है। ना ही उसकी मृत्यु के बाद उनका संस्कार उनके क्षेत्राधिकार में किया गया है। उन्होंने मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने से साफ इनकार कर दिया। यह हास्यपद है। कि तहसीलदार पीपाड़ सिटी के अनुसार भंवरी देवी की मृत्यु नहीं हुई है। याचिकाकर्ता अश्वनी और अन्य की ओर से अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने वर्ष 2018 में याचिका पेश कर बताया कि भंवरी देवी चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग में महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ता एएनएम के पद पर कार्यरत थीं।

ये है पूरा मामला

एक सितंबर 2011 को भंवरी देवी अपनी बेची गई कार के रुपये लेने बिलाड़ा गई थीं। फिर वो वापस कभी नहीं लौटीं। इसके बाद उनके पति और याचिकाकर्ता के पिता अमरचंद ने थाने में उनकी गुमसुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। इस दरमियान मामले में राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर होने पर इसकी जांच सीबीआई को दे दी। उसी दौरान पता चला कि, भंवरी देवी की हत्या कर शव को जलाकर उसके अवशेष इंदिरा गांधी कैनाल में बहा दिए गए हैं।

इस पर सीबीआई ने इस मामले में तत्कालीन राज्य सरकार के काबीना मंत्री महिपाल मदेरणा और लूणी विधायक मलखान सिंह बिश्नोई सहित करीब 13 आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल की सलाखों के पीछे भेज दिया गया था। सालों से इस मामले में कोर्ट में ट्रायल चल रहा है। सभी आरोपी इन दिनों जमानत पर बाहर हैं।