दिल्ली की टीम ने अभय जैन ग्रंथालय देखा, पांडुलिपि संरक्षण केन्द्र बनाने की योजना
RNE BIKANER .
सबकुछ समयबद्ध और ठीक रहा तो जल्द ही बीकानेर की पहचान देश के एक बड़े पांडुलिपि संरक्षण केन्द्र के रूप में होगी। इस दिशा में प्राथमिक काम शुरू हो चुका है। अब राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन ने प्रस्तावों पर आगे की कारवाई शुरू की हैं। इसी कड़ी में बुधवार को विशेषज्ञों के एक टीम ने बीकानेर पहुंच निरीक्षण किया।
यह टीम पहुंची, ये काम किया :
राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की एक टीम गुरुवार को बीकानेर पहुंची और यहां अभय जैन ग्रंथालय का निरीक्षण किया। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन की इस टीम में शिशिर कुमार पाढ़ी , रंजन मलिक एवं राजस्थान संस्कृत अकादमी के समन्वयक डॉ. सुरेंद्र कुमार शर्मा आदि शामिल रहे।
बीकानेर में 1.50 लाख हस्तलिखित ग्रंथ :
दरअसल बीकानेर में अगर चंद जी नाहटा की ओर से संकलित लगभग एक लाख पचास हजार हस्तलिखित ग्रंथ अभय जैन ग्रंथालय में संग्रहीत हैं। राष्ट्रीय टीम ने इसी संग्रह का निरीक्षण किया। इस दुर्लभ संग्रह को पांडुलिपि संसाधन केंद्र व पांडुलिपि संरक्षण केंद्र बनाने के लिए सरकार को भेजे गये प्रस्ताव पर य़ह निरीक्षण किया।
अब तक यह काम :
ग्रंथालय के सचिव ऋषभ नाहटा ने बताया कि विगत 2 वर्षो से यहां पांडुलिपि मिशन के निर्देशन में सूचीकरण का कार्य चल रहा है। शीघ्र ही भारत सरकार के कला एवं संस्कृति मंत्रालय के पांडुलिपि मिशन द्वारा यह केंद्र स्थापित किया जाएगा।