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अंशुमानसिंह भाटी बोले-नहर से पानी चुराने वालों को सात साल से ज्यादा सजा मिले

    • ‘ठाकुर का बजट’ पर अंशुमानसिंह का हमला, सदन में मेजें थपथपाई
    • जल संसाधन एवं इंदिरा गांधी नहर की अनुदान मांग पर बोले अंशुमानसिंह भाटी
    • कोलायत विधायक भाटी ने सदन में दिखाये तीखे तेवर
    • चारणवाला-कोलायत शाखा में मरम्मत पर खर्च हुए 225 करोड़ के कामों की जांच हो
    • मेट, बेलदार, गेजरीडर की हर साल एक हजार भर्ती हो

राहुल हर्ष, मनोज आचार्य

RNE Network.

पहली बार एमएलए बने कोलायत के विधायक अंशुमानसिंह भाटी का सोमवार को विधानसभा में एक परिपक्व राजनेता जैसा अंदाज दिखा। जल संसाधन एवं इंदिरा गांधी नहर की अनुदान मांग पर बोलते भाटी ने दो टूक अपनी बात रखी।

इस दौरान जहां पूर्ववर्ती सरकार के कार्यकाल में हुए नहर मरम्मत और सुदृढ़ीकरण पर लगे 225 करोड़ रूपए में भ्रष्टाचार की आशंका जताते हुए जांच की मांग उठा दी वहीं अपनी ओर से क्षेत्र की नई मांगें भी रख दी। अशुमानसिंह के भाषण में तब जमकर मेजें थपथपाई गई जब उन्होंने ‘ठाकुर का बजट’ मसले पर महाराजा गंगासिंहजी का जिक्र करते हुए जमकर हमला बोला।

अंशुमानसिंह के इस अंदाज को निर्दलीय विधायक रवीन्द्रसिंह भाटी सर्वाधिक एप्रिसिएट करते दिखे।

महाराजा गंगासिंहजी का जिक्र कर ‘ठाकुर…’ का जवाब दिया:

अंशुमानसिंह भाटी ने सधे शब्दों में, कम समय में, पूरी बात रखी। आखिर में उन्होंने इंदिरा गांधी नहर की प्रेरक गंगनहर का जिक्र करते हुए छपनिया अकाल के दर्द का जिक्र किया। कहा, अकाल की पीड़ा देख बीकानेर के युवा महाराजा गंगासिंहजी ने अपने जनता को इस तकलीफ से मुक्ति का प्रण लिया था। बहावलपुर, बीकानेर और पंजाब रियासतों के बीच बार-बार असफल होती वार्ताओं के बावजूद एमओयू किया। अपनी संपत्ति गिरवी रखकर नहर पर पैसा खर्च किया। यह नहर वे अपने लिये नहीं 36 कौम के लिये लाये थे। बड़े दुख के साथ यह कहना पड़ता है कि खुद का घर, गहने गिरवी रखकर जनता के लिये नहर लाने वालों के लिये पवित्र सदन मंे बात की जाती है कि ठाकुरों का बजट है तो इससे ज्यादा निंदनीय बात कोई नहंी हो सकती।

पानी चोरी करने वालों को सात साल से ज्यादा की सजा दो:

अंशुमानसिंह भाटी ने नहर के महत्व का जिक्र करते हुए कहा 08 हजार करोड़ मंे बनी नहर हर सल 16 हजार करोड़ की फसल दे रही है। लगभग 16 जिलों के लोगों की प्यास बुझाती है और 65 लाख बीघा से ज्यादा भूमि सिंचित करती है। इसके बावजूद टेल पर बैठे किसानों केा इसलिये पानी नहीं मिलता क्योंकि विभागीय कार्रवाई से बखौफ लोग साइफन लगाकर पानी चोरी करते हैं। राजस्थान इरिगेशन ड्रेनेज एक्ट में संशोधन कर आदतन पानी चोरी करने वालों को सात साल से अधिक सजा का प्रावधान किया जाना चाहिये। पानी चोरी रोकने के लिये खास टास्क फोर्स के गठन की जरूरत भी भाटी ने जताई।

हर साल एक हजार बेलदार, गेजरीडर, मेट की भर्ती हो:

भाटी ने नहरीतंत्र का जिक्र करते हुए कहा, पहले बेलदार, मेट, गेजरीडर की भर्ती होती रही। नहरी तंत्र की सुरक्षा जल वितरण पर प्रभावी नियंत्रण इनका काम था। समय के साथ ये श्रमिक सेवानिवृत्त होते गए हैं और आज महज तीन प्रतिशत स्टाफ है। वर्ष 2026 तक यह स्टाफ शून्य हो जाएगा। मैं राज्य सरकार से मांग करता हूं कि अगले पांच वर्षों तक प्रति वर्ष एक हजार कैनाल गार्ड, मैट व गेज रीडर जैसे श्रमिकों की भर्ती की जाए जिसेस संचार प्रणाली सुदृढ़ हो। भाटी ने सिंचाई विभाग के खाली पदों को भरने की मांग भी उठाई।

खाळे जर्जर-मरम्मत हो, पुलिये बने:

1985 से 2000 के बीच खळों का निर्माण र्हुआ अधिकांश ,खाळे टूटने की स्थिति में है। सीएडी खाळों की मरम्मत के लिये 25 से 30 वर्ष की समय अवधि तय करते हुए हर बजट वर्ष बजट में राशि का प्रावधान किया जाए। इस लिहाज से बरसलपुर शाख के लिए 70 व चारणवाला के लिए 50 करोड़ रूपए बजट का प्रावधान किया जाए। आवागमन की सुविधा बढ़ाने के लिये नहर पर पुलिये बनाये जाए।

भ्रष्टाचार की बात, गोपीकिशन हैदराबाद कंपनी की हो जांच:

नहर की मरम्मत के लिए वर्ष 2023-24 बरसलपुर और चारवाला शाखा पर 100 व 125 करोड़ के मरम्मत काम स्वीकृत कये गए थे। विगत सरकार में भ्रष्टाचार के कारण गुणवत्तापूर्ण काम नहीं हो पाये। लगभग 35 साल के बाद ये फंड मिला। आगे 35 साल नहीं मिलेगा। इस विषय की गंभीरता देखते जो कंपनी है गोपीकिशन हैदराबाद उसकी जांच कर कड़ी कार्रवाई की जाए। भाटी ने पारंपकिर जल स्रोतों का सुदृढ़ करने की बात भी कही। पिछले साल बारिश में आई बाढ़ का जिक्र करते हुए कहा, वर्षा जल संरक्षा के पुख्ता इंतजाम हो।