मंत्रिमंडल बदलाव की उलटी गिनती शुरू, विस्तार व बदलाव होगा
RNE, State Bureau
राजस्थान में लोकसभा की 11 सीटें हारने के बाद से भाजपा में मंथन शुरू हो गया था। उत्तर भारत के जिस राज्य ने उत्तर प्रदेश के बाद सबसे बड़ा सेडबैक भाजपा को दिया, वो राजस्थान ही था। भाजपा दो चुनावों से यहां 25 की 25 सीटें जीतती आ रही थी। इस बार भी मिशन 25 पर काम शुरू हुआ। मगर 11 सीटें हारनी पड़ी। 12 वीं सीट जयपुर ग्रामीण भी भाजपा हारते हारते बची। जबकि कुछ समय पहले ही भाजपा ने विधानसभा का चुनाव जीता था।
जबकि पास के राज्य मध्यप्रदेश में भाजपा ने पिछली बार से बेहतर प्रदर्शन किया। कमलनाथ की परंपरागत सीट भी छीन ली। जबकि राजस्थान जाट बेल्ट की चारों सीटें भाजपा हार गई। चूरू से भाजपा ने अपने मौजूदा सांसद राहुल कस्वां का टिकट काटा तो उसका असर पूरी जाट बेल्ट पर हुआ। 4 मंत्रियों व कई विधायकों के क्षेत्र में भी भाजपा पिछड़ गई। हार के बाद भाजपा के शुभकरण चौधरी, रामस्वरूप कोली, देवीसिंह भाटी आदि ने कई आरोप लगाये। 11 सीटों पर हार मिलते ही भाजपा की अंतर्कलह धीरे धीरे खुलकर सामने आ गई। रही सही कसर विधानसभा सत्र ने पूरी कर दी।
कई मंत्री विपक्ष के सवालों का जवाब देने में कमजोर साबित हुए तो कुछ तो उनके हमले का प्रतिकार भी नहीं कर सके। वरिष्ठ विधायक और एक खास खेमे के विधायक तो लगभग सदन में मौन साधे रहे। कुछ भाजपा विधायकों ने अपने ही मंत्रियों को घेर लिया। विधायक दल भी एकजुट नहीं दिखा। इसी बीच वरिष्ठ नेता व कृषि मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने मंत्री पद से इस्तीफा भी दे दिया। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने उनको दिल्ली बुलाया, बात की। मगर वे न तो मंत्री के रूप में काम कर रहे हैं, न सदन में जा रहे हैं और न उनका इस्तीफा स्वीकार हो रहा है। असमंजस बना हुआ है।
बीते शुक्रवार को सीएम भजनलाल शर्मा दिल्ली गये। नेतृत्त्व से मुलाकात व बात हुई और तब से ही मंत्रिमंडल विस्तार व गठन की नींव पड़ी है। शनिवार को पीएम मोदी ने भाजपा शासित राज्यों के सीएम व डिप्टी सीएम की बैठक ली। मंत्रिमंडल में अभी तक पद खाली है और किरोड़ी बाबा के इस्तीफे पर भी निर्णय होना है। वे इस्तीफा वापस लेते दिख नहीं रहे। सूत्रों की मानें तो तो 4 से 5 मंत्रियों को हटाया भी जा सकता है और खाली स्थानों को तो भरना है ही।
मंत्री पद के लिए अभी से लॉबिंग शुरू हो गई है। पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बदल गया अब मंत्री बदलने की बारी है। माना ये जा रहा है कि उप चुनावों से पहले मंत्रिमंडल का गठन व विस्तार हो जायेगा। उसकी स्क्रिप्ट भी पार्टी नेतृत्त्व ने तैयार कर ली है।
— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘