श्रीलालेश्वर महादेव मंदिर : सोमगिरीजी की स्मृति में शिव महापुराण
विमर्शानंदजी बताया, विवाह ऐसे होना चाहिए
RNE Bikaner.
शिवबाड़ी स्थित लालेश्वर महादेव मंदिर परिसर में चल रही शिव महापुराण कथा के चौथे दिन शिव-पार्वती विवाह प्रसंग की व्याख्या हुई। इस मौके पर स्वामी विमर्शानंदगिरि जी महाराज ने कहा, विवाह शास्त्रीय विधि, परंपरा के अनुसार ही होने चाहिए।
गाय सदैव पूज्य :
ब्रह्मलीन श्रीस्वामी संवित् सोमगिरिजी महाराज की पावन स्मृति में श्रीलालेश्वर महादेव मंदिर में श्री शिवमहापुराण कथा चतुर्थ दिवस मंदिर अधिष्ठाता पूज्य स्वामी विमर्शानंदगिरि जी महाराज के सान्निध्य में आयोजन हुआ। इस अवसर पर पूज्य श्री स्वामी विमर्शानंदगिरि जी महाराज कहा कि सनातन संस्कृति में गाय को सदैव ही पूज्य माना गया है। गाय को माता इसलिए ही कहा जाता है, क्योंकि जिस प्रकार एक माँ अपने बच्चे का एक दिव्यता, एक प्रेम, एक स्नेह, एक सम्मान, एक संस्कृति और एक धर्म को लेकर करती है, उसी प्रकार प्रत्येय मनुष्य को अपने सभी कर्म शास्त्रीय विधि, परंपरा के अनुसार करने चाहिए।
कथा प्रवक्ता पं. श्री अशोक जी पारीक ने श्रीशिव पार्वती विवाह का व्याख्यान करते हुए कहा कि पार्वती जी प्रथम बार सति के रूप में अवतरित हुई, तत्पश्चात् गौरी के रूप में हिमावन व माता मैनावती के घर जन्म लिया। पं. पारीक ने कहा कि जो भी भक्त अपने समर्पण भाव से श्रीशिवमहापुराण कथा का श्रवण करते हैं, भगवान् शिव व माता पार्वती की उन पर सदैव असीम कृपा रहती है।
मानव प्रबोधन प्रन्यास के विजेन्द्र सिंह भाटी ने बताया कथा के यजमान महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति श्री मनोज दीक्षित सपत्नीक सम्मिलित हुए। मुंबई से अंतर्राष्ट्रीय भजन गायिका श्यामा रंगा ने मनमोहक भजनों की प्रस्तुतियाँ दी।
श्रीशिव पार्वती विवाह की झांकी निकाली गई, जिसमें भगवान् शिव, माता पार्वती, नंदी, की झांकी में सुश्री गूंजन शेखावत, सुश्री पलक शेखावत, सुश्री धार्वी शेखावत तथा सुश्री झलक शेखावत ने भूमिका निभाई, झांकी को सजाने में घनश्याम स्वामी का योगदान रहा।