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A ghost filed an FIR : इस भूतनाथ की एफआईआर-गवाही कोर्ट हैरान, पुलिस-अधिवक्ता को नसीहत

  • हैरानी: भूत ने एफआईआर करवाई, गवाही दी, वकालतनामा साइन किया!
  • हैरानी : यूपी पुलिस ने भूत का बयान ले लिया

RNE, Network.

हिन्दी फिल्म “भूतनाथ” में एक भूत को चुनाव लड़ते तो देखा गया लेकिन यथार्थ जीवन में अगर कोई कहे के एक भूत ने अपने दुश्मनों के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई। गवाही दी तो स्वाभाविक है कि हैरानी होगी। ऐसी ही हैरानी इलाहाबाद हाईकोर्ट के माननीय न्यायाधीश को भी हुई जब उनके सामने सुनवाई के लिए आए एक मामले में जो परिवादी था वह सालों पहले दुनिया छोड़ चुका था।

पुलिस ने तीन साल पहले मृत व्यक्ति का केस दर्ज किया। उसका बयान भी दर्ज कर लिया। मामले को सुनते हुए जस्टिस ने कहा, मैं आवाक हूं। करीब 10 साल बाद पीड़ित पक्ष को भूत से राहत मिलती दिख रही है।

मामला यह है :

दरअसल इलाहाबाद हाई कोर्ट में एक अलग ही मामला आया। इसमें ‘मृत’ व्यक्ति कुशीनगर के शब्द प्रकाश ने याची के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने उस भूत (मृतक व्यक्ति) का बयान भी दर्ज किया और चार्जशीट दाखिल कर दी। इतना ही नहीं ‘भूत’ ने हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में 19 दिसंबर 2023 को वकालतनामा भी हस्ताक्षर करके दे दिया।

न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी इस केस को देखकर आश्चर्य में पड़ गए। केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस शमशेरी ने कहा कि केस के तथ्य से वह अवाक हैं। किस तरह पुलिस अपराध की विवेचना करती है। पुलिस ने तीन साल पहले मरे आदमी का बयान दर्ज कर लिया।

एसपी को न्यायालय का निर्देश :

कोर्ट ने एसपी कुशीनगर को निर्देश दिया कि ‘भूत’ निर्दोष को परेशान कर रहा है। विवेचना अधिकारी को अपना बयान दर्ज करा रहा है। ऐसे विवेचना अधिकारी की जांच कर रिपोर्ट पेश करें। साथ ही आपराधिक केस कार्यवाही को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि ममता देवी ने अधिवक्ता विमल कुमार पाण्डेय को मृत व्यक्ति का वकालतनामा हस्ताक्षरित करके दिया है। कोर्ट ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन से कहा है कि वकील को भविष्य में सावधानी बरतने की सीख दें।

2011 में मौत हो गई उसने 2014 में एफआईआर करवाई :

शिकायतकर्ता शब्द प्रकाश की मौत 19 दिसंबर 2011 को हो गई थी। मृत व्यक्ति के भूत ने 2014 में कोतवाली में एफआईआर दर्ज कराई। पुलिस ने 23 नवंबर 14 को चार्जशीट दाखिल कर दी और भूत को अभियोजन गवाह नामित कर दिया। याचिका में केस कार्यवाही की वैधता को चुनौती देते हुए रद्द करने की मांग की गई थी।