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किरोड़ी बने पहेली, मंत्री पद पर असमंजस, विस्तार से ही होगी तस्वीर साफ

RNE Network

भाजपा के दिग्गज व राज्य के कृषि, आपदा प्रबंधन मंत्री किरोड़ीलाल मीणा न केवल भाजपा अपितु पूरी राजनीति के लिए अबूझ पहेली बन गये हैं। लोकसभा चुनाव में दौसा, सवाई माधोपुर सीटें भाजपा हारी तो उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। उसको 15 दिन बाद सार्वजनिक किया मगर सरकारी गाड़ी लौटा दी, दफ्तर जाना बंद कर दिया। फाइलें देखना छोड़ दिया। भाजपा सरकार के सीएम चुप, पार्टी अध्यक्ष चुप, कोई कुछ नहीं बोल रहा था।

एक दिन अचानक से ‘ बाबा ‘ किरोड़ी खुद बोले और कहा कि मुझे तो इस्तीफा दिए कई दिन हो गये। ट्विटर पर लिखा ‘ रघुकुल रीत सदा चली आई, प्राण जाये पर वचन न जाई ‘। साफ संकेत था कि इस्तीफा दे दिया। फिर उनकी पत्नी गोलमा देवी ने भी कह दिया कि वे जो कहते हैं, करते हैं। उनको पद का कोई लोभ नहीं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा ने उनको मिलने बुलाया। मिले भी और बताया 10 दिन बाद फिर मिलने बुलाया है। पर इस बार मुलाकात नहीं हुई। न मंत्री का पद संभाला और न सुविधाएं लेनी शुरू की।

 

इस बीच विधानसभा का बजट सत्र आया तो उसमें नहीं गये। जब विपक्ष ने हंगामा किया तो उन्होंने सदन से अनुपस्थित रहने की विधानसभा अध्यक्ष से अनुमति ले ली। उनके विभाग के सवालों के जवाब भी सदन में दूसरे मंत्रियों ने दिए। सत्र समाप्त हो गया मगर बाबा की गुत्थी नहीं सुलझी।

इस बीच मानसून आ गया। कई जगह बाढ़ के हालात हो गये। इस स्थिति में पूर्व सीएम अशोक गहलोत ने ट्वीट कर तंज किया कि आपदा में भी आपदा प्रबंधन मंत्री को लेकर सरकार साफ नहीं। रिएक्शन हुआ। बाबा अगले ही दिन गंगापुर सिटी बाढ़ की हालत देखने पहुंचे। अधिकारियों को निर्देश भी दिए। एक उम्मीद जगी पर बाबा ने फिर बयान दे दिया। मीणा ने कहा कि मंत्री की हैसियत से नहीं आया, संकट में सदा इनके साथ रहना मेरा हमेशा का काम है। इसी वजह से आया।

इस बीच बाबा को लेकर विपक्ष के हो रहे हमलों के बचाव में नये प्रदेश अध्यक्ष मदन सिंह राठौड़ ने बयान दिया कि वे जल्दी ही मंत्री पद का कार्यभार संभालेंगे। बाबा 15 अगस्त को झंडारोहण के लिए गये। मगर वहां भाषण देने से इंकार कर दिया। उनको राजी किया गया। मगर अब भी ये अनुत्तरित सवाल है –

  • क्या बाबा अपना इस्तीफा वापस लेंगे ?
  • क्या पार्टी अध्यक्ष के बयान को सही सिद्ध करेंगे।
  • अपने ‘ वचन ‘ के ट्वीट का क्या जवाब देंगे।
  • क्या वे दौसा व देवली – उणियारा सीटों के उप चुनाव में सक्रिय होंगे।

इन सब सवालों के बीच बाबा अबूझ पहेली बने हुए हैं। इस महीनें में संभावित मंत्रिमंडल गठन व विस्तार से ही स्थिति स्पष्ट होगी। तब तक कयास ही हवा में तेरेंगे।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।