‘जी..जैसी आपकी मर्जी’ ने रंग-आनंद के आखिरी दिन खूब रंग जमाया
आरएनई,बीकानेर।
संकल्प नाट्य समिति के तत्वाधान में शायर रंगकर्मी स्व. आनंद वि. आचार्य की स्मृति में होने वाले कार्यक्रम ‘‘रंग आनंद 2024’’ के तीसरे दिन सेठ तोलाराम बाफना एकेडमी बीकानेर की ओर से नाटक ‘जी…. जैसी आपकी मर्जी’’ का मंचन बीकानेर के ही युवा निर्देशक अभिनेता रोहित बोड़ा के निर्देशन में हुआ। इस नाटक का लेखन बाॅलीवुड की मशहूर रंग निर्देशिका ,अभिनेत्री नादिरा जहीर बब्बर ने किया।
नाटक के प्रस्तुति प्रभारी प्रिंसीपल डाॅ. पी.एस. वोहरा रहे। इस नाटक में 21वीं सदी में आज भी स्त्री के साथ स समाज में पुरूष के समान व्यवहार नहीं किया जाता है। उसे रौंदा जाता है, उसके व्यवहार पर प्रश्न चिन्ह लगाया जाता है। स्त्री को प्रताड़ित किया जाना, आए दिन किसी न किसी समाचार पत्र का हिस्सा होता ही है। आज भी ‘स्त्री स्वतंत्रता’ बड़ा ही संदिग्ध शब्द है। पढ़ने, कमाने एवं फैसले खुद लेने का हक ज्यादातार स्त्रियों के लिए आज भी एक स्वप्न मात्र है।
यह नाटक नारी मुक्ति आन्दोलन से कहीं ज्यादा बड़ा है। अपने समाज में स्त्री की स्थिति में सकारात्मक परिवर्तन लाने के लिए यह नाटक काई सनसनी पैदा करने के लिए नहीं बल्कि जो हमारे बहुत से सामाजिक एवं राजनैतिक मुद्दे इस स्थिति से जुड़े हुए हैं उस पर प्रकाश डालने की एक कोशिश, एक पहल है।
नाटक में मंच पर सास-तनिष्का सेठिया, पति-समरवीर सिंह, देवर-चिन्मय राजपुरोहित, पत्नि-दिशा खत्री, दीपा-श्रुति नाहटा, वर्षा-अवनी बिस्सा, सुल्ताना-नवधा गोयल, बबली-दीक्षा पुरोहित के रूप में अपने अभिनय से समा बांध दिया। इस नाटक के बाल कलाकार रेत्री भाटी, नेतल सोनी, छवि गहलोत, मायरा अग्रवाल आदि रहे।
मंच के पीछे से संगीत प्रभाव-ललित रतावा, प्रकाश प्रभाव-आमिर हुसैन, नृत्य संयोजन-दीपक शर्मा, उवर्षी गुप्ता, वेशभूषा -मेकअप-सुमन शर्मा, छायांकन-शिवाजी आचार्य एवं मंच सज्जा-जितेन्द्र चौधरी आदि ने नाटक के मंचन में अपना सहयोग दिया।
‘‘रंग आनंद 2024’’ के समापन समारोह में इस वर्ष के ‘रंग आनंद अवार्ड 2024’ से बीकानेर की वरिष्ठ रंगनेत्री श्रीमति पुष्पा जैन को फूलों का हार , शाॅल और 11 हजार का चैक देकर सम्मानित किया गया। श्रीमति पुष्पा जैन वह नाम है जिसने उस दौर में सक्रिय रंगकर्म प्रारम्भ किया जब औरतों पर रंगमंच तो क्या अपने घरों से निकलने पर भी पाबंदी हुआ करती थी। वर्ष 1970 से पुष्पा जैन ने रंगकर्म की शुरूआत की। 1973 में एस.वासुदेव सिंह के निर्देषन में 40 दिवसीय निर्देषित नाटक ‘अण्डर सेक्रेटरी’ के बाद उनकी कला में निखार आया।
श्रीमति पुष्पा जैन अभिनीत प्रमुख नाटक ‘एवं इन्द्रजीत’, ‘त्रिषंकु’, ‘प्रीत के पंछी’, ‘खामोष अदालत जारी है’, ‘आधी रात के बाद’, सुबह वापस लौटा दूंगा’, ‘सौन्दर्य की सांझ’, ‘चाय के प्याले में तुफान’, ‘महाभारत में रामायण’, ‘सिंहासन खाली है’, ‘ओल्मो’ रहे। साथ ही कई फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ी, जिनमें ‘दास्ताने लैला मजनूं’, ‘माटी री आण’, ‘हमराही’, ‘औलाद और अंहकार’ प्रमुख है।
‘रंग आनंद अवार्ड 2024’ से सम्मानित होने के उपरान्त उन्होनें अपने व्यक्तव्य में कहा कि संकल्प नाट्य समिति एक ऐसी संस्था है जो पुराने से पुराने रंगकर्मियों को जो अपनी वृद्धा अवस्था के कारण रंगकर्म से दूर भी हो चुके हैं परन्तु उन्होनें रंगकर्म में खुब काम किया है ऐसे लोगों के सम्मानित कर रंगकर्म के संवर्द्धन का कार्य कर रही है। यह बोलते हुए वो काफी भावुक भी हो गयी यह कहते हुए उनकी आंखे भी बहुत नम थी।