देशभर में बीकाणे की बात, इधर बीकाणे में “छूँ-छाँ”
- मधु आचार्य “आशावादी” : बातें अदब की
- अदब की बातें : भोपाल-दिल्ली में बीकानेर का डंका
- देशभर में बीकाणे की बात, इधर बीकाणे में “छूँ-छाँ”
बीकानेर के अदब को हरीश भादानी, यादवेंद्र शर्मा ‘ चन्द्र ‘, दीन मोहम्मद मस्तान, बुलाकी दास बावरा, भवानी शंकर व्यास ‘ विनोद ‘, मोहम्मद सदीक, धनंजय वर्मा सहित अनेक कलमकारों ने देश में पहचान दी। मगर अक्सर इस अदबी शहर की धमक देश में कम ही होती थी, ये भी कड़वा सच है। ‘ जंगल में मोर नाचा, किसने देखा ‘ की उक्ति बीकानेर के अदब पर लागू होती थी। उसकी अपनी खास वजहें थी। कुछ लोह खोटा, कुछ लोहार खोटा तो कुछ ताकड़ी में काण थी। यहां के अदबी लोगों को उपेक्षित किया जाता था।
बाद में इस सन्नाटे को डॉ नंदकिशोर आचार्य, हरीश भादानी, चन्द्र जी ने तोड़ा। अब भी कई लोग जी तोड़ प्रयास कर रहे हैं कि बीकानेर देश के प्रमुख अदबी शहरों में से एक और खास है। राष्ट्र की अकादमियों, सेमिनार, साहित्य उत्सवों में अब बीकानेर दिखने लगा है। अभी जब साहित्य अकादमी, नई दिल्ली ने उर्दू का युवा साहिती आयोजन ऑनलाइन किया तो उसमें शायर अमित गोस्वामी दिखे। देश के बड़े उर्दू शायरों ने जब ये कहा कि कमाल है, बीकानेर में भी इतने करीने की शायरी होती है, तब सीना फूलकर चौड़ा हो गया। बीकानेर की आन, बान और शान ही तो हर अदबी खिदमतगार की आन, बान और शान है।
इस कड़ी में हाल ही में बीकानेर की तरफ से दो आयोजन देश मे हुए, उनसे फिर इस आलिजा शहर को इज्जत मिली है। पहला आयोजन था हिंदी के कवि, कथाकार अनिरुद्ध उमट का। भोपाल में ये आयोजन था ‘ किशोराना ‘ का। उमट के गद्य पर बांसुरी वादन। कमाल का नवाचार। डेढ़ घन्टे तक दर्शक मंत्रमुग्ध। उमट के गद्य का संगीत से ये तालमेल उनके षष्ठिपूर्ति पर हुआ था। सुधीजनों के बीच सफल आयोजन में अनिरुद्ध की धमक तो थी ही, बीकानेर की भी धमक हुई। बीकानेर की ख्याति मध्यप्रदेश में हुई। बीकानेर के अदबी लोगों के लिए ये बड़ा सुख था।
दूसरा आयोजन हुआ अजीज आज़ाद लिटरेचर सोसायटी का दिल्ली में। अज़ीज साहब के साहबजादे शायर इरशाद अज़ीज ने ग़ालिब अकेडमी, दिल्ली में अंतरराष्ट्रीय मुशायरे व कवि सम्मेलन का आयोजन किया। देश, विदेश के रचनाकारों ने कविताएं व शायरी पेश की। बड़ी बात ये थी कि इरशाद ने अपनी अदबी विरासत को संजीवनी दी वहीं अज़ीज साहब के कर्म से भी देश की राजधानी व वहां आये देश विदेश के शायर परिचित हुए। इस आयोजन में कवि के रूप में प्रतिभावान संजय आचार्य ‘ वरुण ‘ की भी भागीदारी रही। बीकानेर के अदबी जगत को सुकून मिला।
राजधानी में बीकानेर का मान
हिंदी और उर्दू के बाद बीकानेर के राजस्थानी अदब को भी मान मिला। साहित्य अकादमी, नई दिल्ली व मोहनलाल सुखाड़िया विवि, उदयपुर ने उदयपुर में ‘ राष्ट्रीय युवा साहित्य उच्छब ‘ आयोजित किया। इस दो दिन के राष्ट्रीय आयोजन में बीकानेर की मजबूत भागीदारी रही। युवा साहित्यकार सोनाली सुथार, आशीष पुरोहित, पूनम चंद गोदारा, देवीलाल महिया की इस बड़े आयोजन में भागीदारी रही। ये बात इसको प्रमाणित करता है कि राजस्थानी अदब में बीकानेर सिरमौर है। बीकानेर में विपुल राजस्थानी साहित्य रचा जाता है। कहानी, कविता, उपन्यास, नाटक सहित हर विधा में यहां लेखन होता है।
हम नहीं सुधरेंगे
एक तरफ जहां बीकानेर अदब में गंभीर काम हो रहा है, वहीं दूसरी तरफ ‘ छुं छा प्रोडक्शन ‘ भी लगातार चालू है। आयोजन कैसा था, क्या गरिमा थी, उससे अदब का क्या सार निकला, इन सबसे आयोजकों को सरोकार ही नहीं है। बस, खबर अच्छी छप जानी चाहिए। वे कमियों पर भी बात करते हैं, मगर आयोजन या आयोजन में बोले लेखकों कवियों की रचनाओं पर नहीं। वे कमी निकालते हैं कि फलां अखबार ने खबर अच्छी नहीं छापी, फलां अखबार ने फोटो नहीं छापा, फलां पोर्टल ने खबर को अवॉइड कर दिया। अदब की कमियां नहीं खबर छपने की कमियों पर अगले आयोजन तक बात होती है। जय हो इन छपास रोगियों की।
मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में
मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।