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Biological Mother’s Name Right : दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा, एक महीने में जैविक माँ का नाम रिकॉर्ड में अपडेट करो

RNE Network.

एक बेटी को लंबी लड़ाई के बाद आखिर दिल्ली हाईकोर्ट से एज्युकेशनल रिकॉर्ड में अपनी जन्मदात्री मां का नाम लिखवाने का हक मिला है। दिल्ली हाईकोर्ट ने फैसले में कहा है कि अपनी पहचान को जैविक माता-पिता से जोड़ना मौलिक अधिकार है। इसके साथ ही सीबीएसई को आदेश दिया है कि अपील करने वाली श्वेता नाम की लड़की की 10वीं मार्कशीट में सौतेली मां की बजाय जैविक मां का नाम लिखा जाए। पूरी प्रक्रिया एक महीने में पूरी करने को कहा गया है।

मामला यह है : 

श्वेता नाम की एक लड़की अपने दसवीं के प्रमाण पत्र पर जैविक मां का नाम लिखवाने के लिए CBSE से अनुरोध किया लेकिन उससे कहा गया कि यह संभव नहीं है। वह लड़ाई लड़ते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय पहुंच गई। अब बेहद महत्वपूर्ण फैसला आया है।

Delhi High Court ने कहा है कि अपनी पहचान को जैविक माता-पिता से जोड़ना एक मौलिक अधिकार है। न्यायाधीश स्वर्ण कांता शर्मा ने कहा, ‘यह सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं है बल्कि एक व्यक्तिगत लड़ाई है। यह एक बेटी की अपनी जैविक मां की संतान के रूप में सही पहचान पाने की लड़ाई है और अंततः रिकॉर्ड स्थापित करने की लड़ाई, जिसे उसके जैविक पिता ने अपने पुनर्विवाह के बाद बदल दिया है।’

रिकॉर्ड में है सौतेली माँ का नाम : 

दरअसल श्वेता ने अपनी पहचान को अपनी जैविक मां से जोड़ने की मांग की थी। उसने कहा कि उसकी सौतेली माँ का नाम दसवीं कक्षा की सीबीएसई परीक्षा का रजिस्ट्रेशन फॉर्म भरते समय दर्ज किया गया था लेकिन वह उस समय वह अपने जैविक पिता और सौतेली मां के साथ रह रही थी। मेरे पिता और मेरी जैविक मां के बीच तलाक हो गया था और वह उस समय बच्ची थी और अपने जैविक पिता और सौतेली मां के साथ रह रही थी।

CBSE ने नाम बदलने से मना किया : 

श्वेता ने जब अपनी जैविक मां का नाम आधिकारिक रिकॉर्ड विशेष रूप से दसवीं कक्षा के प्रमाणपत्र में दर्ज करने के लिए सीबीएसई CBSE से संपर्क किया तो बोर्ड ने नियमों का हवाला देते हुए तर्क दिया कि फॉर्म भरने के बाद उम्मीदवार के माता-पिता के नाम में संशोधन की अनुमति नहीं है।

हाईकोर्ट ने कहा, एक महीने में नाम बदलो : 

अदालत ने कहा, इस तरह की अनोखी और व्यक्तिगत परिस्थिति में नियमों की कठोरता के परिणामस्वरूप उसे न्याय से अनुचित रूप से वंचित किया जाएगा। यह कुछ लोगों को मामूली बात लग सकती है। न्यायालय ने मां के नाम में बदलाव लाने के श्वेता के अनुरोध को उचित बताया और सीबीएसई को एक महीने के भीतर ऐसा करने का निर्देश दिया।