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जनरंजन : भाजपा – कांग्रेस अब उप चुनाव मोड पर, भाजपा में बदलाव की बयार जल्दी ही दिखेगी

जम्मू कश्मीर में मतदान हो चुका और अब कल हरियाणा में भी विधानसभा के लिए वोट पड़ जायेंगे। आने वाले समय में अब महाराष्ट्र व झारखंड विधानसभा के चुनाव होने हैं। मगर भाजपा व कांग्रेस के लिए अलग अलग राज्यों में होने वाले विधानसभा उप चुनाव ज्यादा महत्त्व के है। 10 से अधिक राज्यों की खाली विधानसभा सीटों पर उप चुनाव ज्यादा महत्ती इस कारण से है क्योंकि इससे एक तरह का इस बात का आंकलन होगा कि सरकार के बारे में जनता क्या सोच रख रही है।


उत्तर प्रदेश में 10 सीटों पर उप चुनाव होना है और उसके बाद सर्वाधिक 7 सीटों पर उप चुनाव राजस्थान में ही होना है। राज्य की दौसा, देवली उणियारा, चौरासी, सलूम्बर, अलवर, झुंझनु व खींवसर सीटों पर उप चुनाव होने हैं। ये उप चुनाव कांग्रेस व भाजपा दोनों के लिए ज्यादा महत्त्व रख रहे हैं। इन दोनों के लिए राज्य की जनता क्या सोच रही है, ये उप चुनाव के परिणाम बतायेंगे।


इन सात में से दौसा, देवली उणियारा, झुंझनु व अलवर की सीटें वर्तमान में कांग्रेस की है। जिनको वो हर हाल में जीतना चाहती है। सलूम्बर की सीट भाजपा की है, इस कारण उस सीट से प्रतिष्ठा जुड़ी है। खींवसर रालोपा व चौरासी आदिवासी पार्टी की सीटें है। भाजपा चूंकि सरकार में है इसलिए वो कुछ अतिरिक्त सीट हासिल करना चाहती है। क्योंकि इस सरकार के बनने के बाद 2 उप चुनाव हुए और दोनों में भाजपा की हार हुई। श्रीकरणपुर की सीट की हार तो भाजपा के लिए चिंता का सबब अब भी बनी हुई है। सुरेन्द्रपाल सिंह टीटी को पहले मंत्री बनाया और फिर उप चुनाव लड़ाया मगर वो हार गये। बांसवाड़ा की सीट आदिवासी पार्टी जीत गई। भाजपा अपने उप चुनाव के प्रदर्शन को सुधारना चाहती है। इस कारण वो खींवसर, दौसा, देवली उणियारा सीटों पर भी खास फोकस कर रही है। सीट छीनना उसका लक्ष्य है।


अब राज्य में दोनों ही पार्टियां चुनावी मोड पर है इस कारण उनमें बदलाव की भी बयार है। कांग्रेस ने तो स्पष्ट कर दिया है कि वो उप चुनावों के बाद ही संगठन में फेरबदल करेगी। मगर लगता है भाजपा में बदलाव की बयार पहले देखने को मिलेगी। राज्य मंत्रिमंडल में पद रिक्त हैं और कुछ मंत्रियों में बदलाव की भी संभावना है। लग रहा है भाजपा मंत्रिमंडल का पुनर्गठन उप चुनाव से पहले करेगी। सीएम इसके लिए दिल्ली के दौरे पर भी हैं।

दूसरी तरफ भाजपा को अब प्रदेश पदाधिकारियों को भी बनाना है। नये प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ को अपनी टीम तैयार करनी है। उस पर भी नेताओं से बात हो चुकी है। ये मनोनयन भी अब उप चुनाव से पहले होता लग रहा है। अनेक जिलों में भी पार्टी का मुखिया बदला जाना है। इस तरह लगता है कि भाजपा में सरकार व संगठन स्तर पर बदलाव की बयार जल्द ही दिखेगी। कुल मिलाकर कांग्रेस व भाजपा, दोनों राज्य में चुनावी मोड पर आ चुके हैं और उसका असर भी इसी सप्ताह से दिखने लगेगा।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।