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क्या अब पूनिया के दिन फिरेंगे? वसुंधरा का क्या ?? गहलोत का कितना रहेगा असर???

  • कुछ बदल रहा है : राजे के घर हलचल, पूनिया से मिलने वालों का तांता!
  • क्या अब दिन फिरेंगे पूनिया के, वसुंधरा का क्या ? गहलोत का कितना रहेगा असर

हरियाणा विधानसभा के चुनाव परिणामों का असर राजस्थान पर भी व्यापक रूप से पड़ेगा। लोकसभा चुनाव में 11 सीटें हारने के बाद 7 विधानसभा सीटों के उप चुनाव को लेकर भी भाजपा थोड़ी परेशान थी। सरकार और संगठन जी तोड़ प्रयास भी कर रहा था मगर नेताओं व कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं था। बड़े नेताओं की आपसी टकराहट भी भाजपा के लिए बड़ी चिंता बनी हुई थी।

हरियाणा के चुनाव परिणामों का असर दूर तक गया है और नजदीकी राज्य राजस्थान पर तो कुछ ज्यादा ही पड़ा है। यहां के कई नेताओं, विधायकों, सांसदों, पदाधिकारियों की चुनावी ड्यूटी हरियाणा में ही थी।

जीत से उन सब में जोश आना स्वाभाविक भी है। अब वे राज्य में भी आने वाले चुनावों में भी जीत की उम्मीद के साथ मैदान में उतरेंगे।

हताश हो रहे थे पूनिया, हरियाणा फतेह से संबल : 

राजस्थान भाजपा के पूर्व अध्यक्ष सतीश पूनिया को चुनाव से पहले पार्टी ने हरियाणा का प्रभारी बनाया था। वे विधानसभा का चुनाव हार चुके थे। उससे पहले उन्हें अचानक से पार्टी अध्यक्ष पद से भी हटा दिया था। वे इतने निराश थे कि सक्रिय न रहने तक का एक बार तो बयान दे दिया। उसके बाद पार्टी नेतृत्त्व ने उनसे बात की और हरियाणा का प्रभारी बनाया।

पूनिया ने उसी दिन से हरियाणा में डेरा डाल दिया। अब पार्टी को प्रतिकूल परिस्थिति में भी सफलता मिली है तो जाहिर है उनके योगदान को नकारा नहीं जा सकता। अब पार्टी नेतृत्त्व को भी उनके हिस्से में बड़ी जिम्मेवारी डालनी ही होगी। माना जा रहा है कि सतीश पूनिया का अब पार्टी में कद बढ़ेगा। ये कद राज्य या केंद्र, कहीं भी बड़ी जिम्मेवारी देकर बढ़ाया जा सकता है। पूनिया एक बड़े नेता होंगे अब राज्य के, इसमें तो कोई शक ही नहीं रहा। हाशिये पर गए पुनिया के हिस्से में अब चाबी आ सकती है।

जयपुर से दिल्ली तक राजे के नाम पर चर्चा : 

पुनिया के बाद बड़ा सवाल है वसुंधरा राजे को लेकर। पूर्व सीएम राजे लोकसभा और बाद में विधानसभा चुनाव के बाद से ही पर्दे के पीछे है। उनको कोई बड़ी जिम्मेवारी नहीं दी गई। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वे पहले से ही थी। मगर हरियाणा चुनाव के बाद अब पार्टी को उन पर भी ठोस निर्णय करना होगा। उनके वजूद को लेकर ये बात साफ है कि उनकी अनदेखी नहीं की जा सकती।

उनके साथ राज्य व केंद्र में पार्टी नेताओं का एक बड़ा धड़ा है। वो भी अभी चुप है। बीच मे उनको पार्टी अध्यक्ष बनाने की खबरें भी सुर्खियों में रही। अब उस पर भी एकबारगी विराम लग गया है। लेकिन पार्टी को राजे की भूमिका तो तय करनी पड़ेगी। अब भाजपा रिस्क लेने की स्थिति में नहीं है। प्राप्त जानकारी के अनुसार राजे की भूमिका पर भी पार्टी में गम्भीर मंथन चल रहा है। जिसका खुलासा भी अब जल्दी ही होगा। राजे समर्थक भी उसकी बाट जोह रहे हैं।

मलाल : गहलोत को हरियाणा से भी नहीं लगी गुलाल

हरियाणा चुनाव का भाजपा ही नहीं, कांग्रेस पर भी असर पड़ेगा। यहां तीन महीनें बीमारी के कारण रेस्ट करके सक्रिय होने वाले पूर्व सीएम अशोक गहलोत को मुख्य ऑब्जर्वर बनाया गया मगर परिणाम पक्ष में नहीं रहे। राज्य में वैसे भी कांग्रेस में बदलाव की बयार है। अब आलाकमान उनकी नई भूमिका क्या रखता है, इस पर सबकी नजर है।

भूमिका में बदलाव होगा, ये तो संकेत मिलने लग गए हैं। पार्टी ने इस बार पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा को भी हरियाणा में स्टार प्रचारक बनाया था। वे भी कोई कमाल नहीं दिखा सके। इस सूरत में कांग्रेस आलाकमान नये सिरे से राज्य के नेताओं को लेकर रणनीति बनानी होगी और उसका आधार हरियाणा चुनाव रहेंगे।

कुल मिलाकर हरियाणा विधानसभा चुनाव का असर राजस्थान की राजनीति पर व्यापक रूप से पड़ेगा, ये सुनिश्चित है। किसके हिस्से क्या रहता है, ये आने वाला समय बतायेगा। मगर बहुत कुछ बदलने के दोनों पार्टियों में संकेत साफ मिल रहे हैं।


मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।