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उप चुनाव के परिणाम का सरकार पर नहीं, पार्टी नेताओं पर असर पड़ेगा

RNE Bikaner

राज्य की 7 विधानसभा सीटों को लेकर राजनीतिक दलों के बीच तकड़ा घमासान मचा हुआ है। सब इसे प्रतिष्ठा की लड़ाई बनाये हुए हैं। हर दल चाहता है कि वो अपनी सीट तो कम से कम न खोये, ताकि चेहरा तो बचा रहे। वहीं सत्तारूढ़ भाजपा अपनी एक सीट से अधिक सीट जीतकर ये साबित करने में लगी है कि सरकार ने 10 महीनें में बहुत काम किया है। भाजपा उस परंपरा का भी निर्वाह करना चाहती जिसके अनुसार सत्तारूढ़ दल को ही उप चुनाव में फायदा होता है। ये परंपरा 1970 से लगातार चल रही है।

दूसरी बड़ी बात ये है कि इन 7 सीटों के परिणाम से न तो सरकार जाने का डर है, न विपक्ष की सरकार बनने की संभावना है। क्योंकि बहुमत पर 7 सीटों का कोई असर नहीं होगा। उसके बाद भी जो कड़ा मुकाबला हो रहा है, उसकी अपनी वजह है। वो राजनीतिक वजह है। ये चुनाव कई बड़े नेताओं पर जरूर असर डालेगा। उनके राजनीतिक वजूद को भविष्य के लिए गहरे तक प्रभावित करेगा, इसमें कोई शक नहीं है। इस वजह से ही भाजपा, कांग्रेस व क्षेत्रीय दलों ने चुनाव जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रखा है। क्योंकि नेताओं का आंकलन दल का आलाकमान चुनाव परिणामों से ही करता है। पद दिए और लिए इसी आधार पर जाते हैं, ये कड़वी सच्चाई है।

सबसे पहले बात कांग्रेस की। इन 7 सीटों में चार सीटें, दौसा, देवली उणियारा, झुंझनु व रामगढ़, कांग्रेस की है। इन सीटों में से अगर एक भी सीट पार्टी ने खोई तो नेताओं पर असर पड़ेगा। कांग्रेस के जिन नेताओं की साख इन सीटों पर दाव पे लगी है, उनमें पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा, पूर्व सीएम अशोक गहलोत, कांग्रेस महासचिव सचिन पायलट, नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जुली व भंवर जितेंद्र सिंह शामिल है। असर सांसदों मुरारीलाल मीणा, हरीश मीणा और ब्रजेन्द्र ओला पर भी पड़ेगा। क्योंकि टिकट देने में व चुनाव रणनीति में इनकी ही मुख्य भूमिका है।

दौसा व देवली उणियारा में सचिन पायलट के साथ मुरारीलाल मीणा व हरीश मीणा की राजनीतिक साख का मूल्यांकन होगा। वहीं रामगढ़ की सीट पर टीकाराम जुली, जितेंद्र सिंह, गहलोत व डोटासरा की साख की परीक्षा होगी। झुंझनु सीट पर डोटासरा, पायलट व ओला की प्रतिष्ठा दाव पर रहेगी। खींवसर, चौरासी व सलूम्बर में गहलोत, डोटासरा के राजनीतिक वजूद का आंकलन होगा।

अब बात भाजपा की। भाजपा ने 7 में से केवल एक सीट सलूम्बर जीती हुई है। मगर सत्ता होने के कारण सभी सीटों के परिणाम बड़े नेताओं के वजूद का आंकलन बनेंगे। सीएम भजनलाल शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ व प्रभारी राधे मोहन की साख दाव पर है। क्योंकि सीएम के नेतृत्त्व में भाजपा अभी तक एक भी चुनाव नहीं जीती है। राठौड़ व राधा मोहन को नई जिम्मेवारी मिली है तो उनको तो अपने मनोनयन को सही साबित करना ही होगा। इसके अलावा किरोड़ीलाल मीणा की साख दौसा व देवली उणियारा में दाव पर है तो रामगढ़ की सीट केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की प्रतिष्ठा का सवाल है। इन नेताओं के अलावा राजेन्द्र राठौड़, वसुंधरा राजे, ज्योति मिर्धा, सी आर चौधरी की साख भी दाव पर है।

क्षेत्रीय दलों के नेता हनुमान बेनीवाल व आदिवासी पार्टी के राजकुमार रोत का भी वजूद इन 7 सीटों के चुनाव परिणाम पर टिका है। रालोपा की सीट खींवसर है और उसका परिणाम रालोपा व बेनीवाल का वजूद तय करेगा। वहीं चौरासी की सीट राजकुमार रोत के वजूद को निर्धारित करेगी। क्योंकि कांग्रेस इन दोनों सीटों पर रालोपा व आदिवासी पार्टी से समझौता चाहती थी, मगर रोत व बेनीवाल ने अकेले चलने की राह पकड़ी। अब दोनों सीटें, दोनों नेताओं के साख का फैसला करेगी। यदि भाजपा व कांग्रेस, अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए तो दोनों दलों के कई नेता नप जायेंगे। क्योंकि कमान इन राज्य के नेताओं के ही हाथ मे है। 7 सीटो के परिणाम कई नेताओं का राजनीतिक भविष्य तय करेंगे।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।