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मजबूरी में रूस की सेना में काम कर रहे, यूक्रेन के साथ युद्ध लडऩे के लिए कहा जा रहा

आरएनई,नेशनल ब्युरो।

भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) के हस्तक्षेप के बाद रूस की सेना में काम कर रहे कई भारतीयों को मुक्त कर दिया गया है। विदेश मंत्रालय ने इस मामले को रूसी सरकार के समक्ष उठाया गया था। इसके बाद कई भारतीय नागरिकों को रूसी सेना से कार्यमुक्त कर दिया। मंत्रालय का कहना है कि इस मामले में भविष्य में भी कोई मामला सामने आता है तो उसे गंभीरता से रूस के समक्ष रखा जाएगा। पिछले दिनों मीडिया रिपोट्र्स में दावा किया गया था कि भारत के कई लोग मजबूरी में रूस की सेना में काम कर रहे हैं। उन्हें यूक्रेन के साथ युद्ध लडऩे के लिए कहा जा रहा है।

बहाने से रूस बुलाए गए थे

इन रिपोट्र्स में कहा गया था भारतीयों को नौकरी के बहाने रूस बुलाया गया था, वहां जाने के बाद सेना में भेज दिया गया। इसके बाद विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा था कि भारत रूसी सेना के सहायक कर्मचारियों के रूप में काम कर रहे भारतीय नागरिकों की शीघ्र छुट्टी के लिए मास्को के संपर्क में है। उन्होंने भारत के लोगों से यूक्रेन में संघर्ष क्षेत्र से दूर रहने का आग्रह किया था। बताया जा रहा कि कई भारतीयों ने रूस की सेना के साथ अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे और युद्ध के दौरान कई भारतीय घायल हो गए थे और दो लोगों की जान चली गई थी। हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल सका है कि रूस की सेना में कितने भारतीय काम कर रहे हैं।

कर्नाटक, तेलंगाना और केरल के भारतीय

एआइएमआइएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने हाल में विदेश मंत्रालय के सामने रूस-यूके्रन युद्ध में धोखे से भारतीयों को शामिल करने का मुद्दा उठाया था। उनका कहना था कि भारतीयों को युद्ध में फंसा लिया गया। इनमें से कई कर्नाटक, तेलंगाना, केरल और जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं। वहीं कर्नाटक के कुछ भारतीय परिवारों के लोगों ने प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री से कहा कि उनके परिवार के सदस्य नौकरी के लिए रूस गए थे। अब उन्हें युद्ध के लिए मजबूर किया जा रहा है। इन लोगों को छुड़ाया जाए।