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कांग्रेस में बड़े बदलाव की स्क्रिप्ट, राहुल की दखलंदाजी, डोटासरा को अभयदान

RNE Network

उप चुनाव में करारी हार के बाद अब राजस्थान कांग्रेस में बदलाव की पूरी स्क्रिप्ट लिखी जा चुकी है। जिलों से प्रदेश तक बदलाव होगा। हार के बाद राहुल गांधी व प्रियंका ने पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा व नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जुली को दिल्ली तलब किया। बैठक में प्रदेश कांग्रेस प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा को भी बुलाया गया। 70 मिनट की इस बैठक में गहन मंथन हुआ।

राहुल गांधी 3 सीटें हारने व 4 सीटों पर जमानत जब्त होने से खासे नाराज थे। उन्होंने खरी खरी डोटासरा, जुली व रंधावा को सुनाई। डोटासरा आलाकमान के निर्देश के अनुसार सातों सीटों की रिपोर्ट लेकर गये थे। सीटों के प्रभारी व संगठन से उन्होंने रिपोर्ट मंगवाई थी। देवली उणियारा, झुंझनु व रामगढ़ की हार की रिपोर्ट उन्होंने राहुल को बताई। बारीकियां भी बताई और हार की ठोस वजह भी गिनाई। बताते हैं, डोटासरा ने संगठन को विधायकों से सहयोग न मिल पाने की बात भी कही। नेताओं की आपसी टकराहट के बारे में भी बताया। इन सबकी जानकारी सुनकर राहुल ने संगठन में बदलाव के निर्देश दिये। उन्होंने ब्लॉक स्तर पर संगठन को मजबूत करने की बात कही और कहा कि ब्लॉक मजबूत होने से पार्टी का संगठन व बूथ मजबूत होते हैं। ब्लॉक के गठन का डोटासरा को फ्रीहैंड दिया गया। जिसका परिणाम भी उनके दिल्ली से लौटने पर देखने को मिला। उन्होंने 17 ब्लॉक में अध्यक्ष या कार्यकारी अध्यक्ष बनाये। अब 7 ब्लॉक कार्यकारिणी का गठन भी कर दिया है।

अगला नम्बर जिलों का है। जिलाध्यक्षों के बदलाव के प्रस्ताव डोटासरा 16-17 को होने वाली पीसीसी की बैठक के बाद तैयार करेंगे। निष्क्रिय, कम काम करने वाले व लंबे समय से बने जिलाध्यक्ष हटाये जाएंगे। राहुल के निर्देशानुसार युवाओं, महिलाओं, ओबीसी वर्ग, अजा वर्ग व आदिवासी वर्ग को प्राथमिकता देते हुए नये जिलाध्यक्षों के प्रस्ताव तैयार कर दिल्ली भेजे जायेंगे। ठीक इसी तरह प्रदेश पदाधिकारियों के प्रस्ताव भी तैयार करने के लिए कहा गया है। 50 पदाधिकारियों को बदला जायेगा, ये लगभग तय है। नये पदाधिकारियों के नाम भी राहुल की प्राथमिकताओं के अनुसार तय होंगे। इनके नाम आलाकमान के स्तर पर तय होंगे। गुटीय राजनीति को राहुल ने पूरी तरह से नजरअंदाज करने को कहा है। ये भी स्पष्ट कहा गया है कि योग्यता ही पद देने का पैमाना होगा। बड़े नेताओं की सिफारिश कोई मायने नहीं रखेगी।

इस तरह की जानकारी के बाद ऐसा प्रतीत होता है कि राहुल ने एक बार डोटासरा को फ्रीहैंड दे दिया है। पीसीसी अध्यक्ष को बदलने की बात एकबारगी पीछे चली गई है। ब्लॉक स्तर से संगठन को खड़ा करने के लिए डोटासरा को ही अधिकार दिए हैं। उसके आधार पर ही जिलाध्यक्षों के नाम के प्रस्ताव बनेंगे। हाल फिलहाल डोटासरा को फ्रीहैंड है। मगर इससे ये भी प्रतीत होता है कि प्रदेश कांग्रेस प्रभारी बदला जायेगा। रंधावा की जगह किसी दूसरे नेता को राज्य की कमान मिल सकती है।

कुल मिलाकर उप चुनावों की हार के बाद कांग्रेस संगठन में तेजी से अब बदलाव होना निश्चित है। इस बदलाव से ये भी बात स्प्ष्ट होगी कि कौनसा नेता अब राज्य की कमान संभालेगा। अगला एक महीना कांग्रेस के बदलाव की पूरी कहानी सामने ला देगा।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।