दोषी-पीड़ित एक ही शहर, गांव के हैं तो दोषी को पैरोल अवधि कहीं और गुजारनी होगी
आरएनई,स्टेट ब्युरो।
राजस्थान हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में यह स्पष्ट कर दिया कि यौन अपराधों से जुड़े मामलों में दोषी और पीड़िता का आमना-सामना उचित नहीं हैं। बेंच ने कहा कि बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम, 2012 के तहत दोषी ठहराया गया व्यक्ति उसी शहर या गांव में पैरोल की अवधि नहीं गुजार सकता, जहां पीड़िता रहती है।
न्यायमूर्ति दिनेश मेहता और न्यायमूर्ति राजेंद्र प्रकाश सोनी की खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि ऐसे मामलों में जहां दोषी और पीड़ित एक ही शहर या गांव में रहते हैं, उनमें दोषी को पैरोल अवधि कहीं और गुजारनी होगी।
ना हो आमना सामना
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि दोषी और पीड़िता को आमने-सामने नहीं आना चाहिए क्योंकि इससे पीड़िता को अपनी आपबीती याद आएगी जिसे वह भूलना चाहती है।
तीन वर्षीय बच्ची से बलात्कार के दोषी सहीराम ने जिला स्तरीय पैरोल समिति, नागौर द्वारा उसके प्रथम पैरोल आवेदन को अस्वीकार किए जाने को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट का रुख किया था। वह अजमेर जेल में सज़ा काट रहा है।