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मंडल अध्यक्षों के चुनाव में उलझी भाजपा, जिलाध्यक्ष बनाने में देरी, बचे मंडलों के लिए फिर से हो रही है कवायद

RNE Network

भाजपा संगठन के चुनाव राजस्थान में जल्दी पूरे होते नजर नहीं आ रहे हैं। राष्ट्रीय महामंत्री बी एल संतोष हालांकि 5 दिन में ये काम पूरा कर लेने की बात कड़ाई से कहके गये थे। उसके बाद 3 दिन निकल गये मगर मंडल अध्यक्ष की कोई सूची प्रदेश भाजपा अभी तक भी जारी नहीं कर पाई है।

इससे स्पष्ट है कि अभी तक नामों पर सहमति नहीं बन सकी है। अधिकतर जगहों पर विधायकों के नाम अलग है और प्रभारियों के नाम अलग है। जबकि कहा ये गया है कि विधायकों व सांसदों की राय को मंडल अध्यक्ष बनाने में ध्यान में रखा जाए। इस एक निर्देश के कारण बात बन नहीं रही।

बात बनने की होती तो पहले ही ये नाम घोषित हो जाते। मगर अनेक जिलों में विधायक अपने दिए नामों पर अड़े हुए हैं। कई जिलों में तो सांसद व विधायकों के बीच भी सहमति नहीं बन रही है। भाजपा का प्रदेश संगठन मंडल अध्यक्षों को लेकर ही उलझ गया है। इस उलझाव की जानकारी राष्ट्रीय संगठन महामंत्री को भी दी गई है। अंततः लगता है प्रदेश भाजपा एकतरफा मंडल अध्यक्षो की घोषणा करेगी, नहीं तो संगठन चुनाव आगे ही नहीं बढ़ पाएंगे। पार्टी का साफ निर्देश है कि जब तक सभी मंडल अध्यक्ष घोषित नहीं होते तब तक जिलाध्यक्ष का चुनाव नहीं होगा। जिलाध्यक्ष नहीं बनेंगे तो प्रदेशाध्यक्ष का चुनाव नहीं होगा।

दावेदार हारकर घर लौटे:

जिलाध्यक्षो के दावेदार पिछले काफी दिनों से जयपुर व दिल्ली के बीच चक्कर काट रहे थे। लॉबिंग कर रहे थे। मगर जब ये निर्णय हो गया कि मंडल अध्यक्ष पूरे बने बिना जिलाध्यक्षो का चुनाव नहीं होगा तो उनको निराशा मिली, वे वापस राजधानी से घर को लौट आये हैं।

दूसरी तरफ ऐसा भी नहीं है कि जिलाध्यक्षो के लिए कवायद नहीं हो रही। वरिष्ठ नेताओं की समिति इनकी भी सूचियां बनाने का काम कर रही है। जिसमें नारायण पंचारिया, घनश्याम तिवाड़ी, ओंकार सिंह लखावत व अरुण चतुर्वेदी शामिल है। लगता है प्रदेश भाजपा अचानक से मंडल अध्यक्षों की पहले व उसके तुरंत बाद जिलाध्यक्षों की सूची जारी कर देगी।