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बीकानेर: 5 मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति का रुकना बताता सब ठीक नहीं, कोलायत पर तो अब भी बना है सस्पेंस

RNE Bikaner

भाजपा ने संगठन के पहले चरण में बीकानेर शहर संगठन के 8 मंडलों के अध्यक्ष घोषित कर दिए। उनकी घोषणा होते ही कई सवाल खड़े हो गये। नाराज नेता जयपुर पहुंच गये। शिकायतों का पुलिंदा लेकर साथ गये। आखिरकार प्रदेश की चुनाव शिकायत समिति ने शिकायतों का परीक्षण किया और बीकानेर शहर के 5 मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति पर रोक लगा दी।


दरअसल मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति पर रोक लगाने वाले पत्र में यह लिखना कि शिकायतें सही पाई गई, एक बड़ी बात है। इससे लगता है कि कहीं न कहीं चूक तो हुई है। दूसरे, यहां विधायकों, सांसद व वरिष्ठ नेताओं के मध्य खींचतान के साथ गुटबाजी भी है। जिसके कारण ही पार्टी को कुछ ही दिन में मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति पर रोक लगनी पड़ी।

बीकानेर शहर में तो केवल एक गंगाशहर मंडल के अध्यक्ष की घोषणा बची थी। बाकी बने मंडल अध्यक्षों में एक भी एससी वर्ग का नहीं है। इस बात से सांसद व केंद्रीय मंत्री भी खुश नहीं थे। बाकी जिन मंडल अध्यक्षों पर रोक लगी है उन पर अलग अलग आरोप हैं। बीकानेर पश्चिम के विधायक जेठानन्द व्यास हैं और उनका मंडल पुराना शहर मंडल है। उसमें भी नियुक्ति हो गई, मगर अब उसे रोक दिया गया है। ये इस मंडल की गुटीय राजनीति की परिणीति है।

कोलायत पर अब भी सस्पेंस:

देहात भाजपा की कोलायत सीट के मंडल अध्यक्ष बनाने के मामले पर तो अभी तक सस्पेंस ही बना हुआ है। टकराहट व गुटबाजी के कारण यहां कोई निर्णय ही नहीं हो पा रहा। कोलायत के दिग्गज नेता देवीसिंह भाटी ने तो चुनाव प्रभारी को लेकर ही सवाल खड़े कर दिए। उन्होंने बाकी बने मंडल अध्यक्षों पर भी प्रश्न चिन्ह लगाया था। उनके तीखे तेवर के कारण यहां मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति का मसला अटका हुआ है।

आगे अब क्या:

इस तरह की गहरी गुटबाजी और तकरार के कारण अब लगता है जो भी निर्णय होगा वो दिल्ली के ही स्तर पर होगा। क्योंकि पूरी रिपोर्ट संगठन महामंत्री बी एल संतोष तक पहुंचा दी गई है।