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रंग आनंद 2025: समारोह संकल्प का नहीं, बीकानेर रंगमंच का है, सब देते हैं अपना श्रेष्ठ अपनी पहल से

RNE Special.

बीकानेर का रंगमंच पसीने से सींचकर तैयार किया गया दरख़्त है। यहां के रंगकर्मियों ने सामंती परिवेश के जकड़न को तोड़कर रंगमंच की प्रतिस्थापना बहुत श्रम से की। जिस इमारत की नींव पवित्र हो, उस इमारत की खूबसूरती और आब कभी जाती ही नहीं।

हिंदी रंगमंच में बीकानेर ही एक ऐसा शहर है जहां अपने अग्रज का सम्मान मन से होता है और सभी रंगकर्मी अपने को एक परिवार का हिस्सा मानते हैं। ये भाव पैदा करने वालों में स्व विष्णुकांतजी, जगदीश शर्मा जी, मनोहर कालांश जी, निर्मोही व्यास जी, योगी जी आदि का तो बड़ा योगदान रहा ही है मगर इनके बाद की पीढ़ी का भी बड़ा योगदान रहा है।

प्रदीप भटनागर, एस डी चौहान, एल एन सोनी, ओम सोनी, हनुमान पारीक, प्रदीप माथुर, बुलाकी भोजक, नानक हिंदुस्तानी, चांद रजनीकर, आशुतोष कुठारी सहित अनेक नाम है जिन्होंने बीकानेर की रंग परंपरा को समृद्ध किया।
बीकानेर रंगमंच की इसी समृद्ध परंपरा का प्रतीक है ‘ रंग आनंद नाट्य समारोह ‘। शायर, रंगकर्मी आनंद वि आचार्य की स्मृति को जिंदा रखने के लिये यह समारोह बीकानेर के रंगकर्मियों का साझा सपना है, केवल उनके परिवार का नहीं। इस समारोह की सफलता का आधार बीकानेर की रंग परंपरा को जाता है।

वरिष्ठ रंगकर्मी प्रदीप भटनागर बताते हैं कि आनंद वि आचार्य समर्पित रंगकर्मी थे और बीकानेर रंगमंच को उनका बड़ा योगदान है। उसी योगदान को सदा याद रखने के लिए रंग आनंद नाट्य समारोह किया जा रहा है। ये समारोह किसी व्यक्ति, संस्था का नहीं, बीकानेर के रंगकर्मियों का है। शुद्ध भावना से हर कोई इसमें सहयोग करता है।

रंग आनंद अवार्ड शुरू करने के निर्णय को भी प्रदीप भटनागर एक सराहनीय पहल मानते हैं। उनका कहना है कि बिना कोई आवेदन लिए यह अवार्ड देना एक सच्चे रंगकर्मी के कर्म का सच्चा सम्मान है। आयोजन व अवार्ड की अनवरतता ने पूरे हिंदी रंगमंच में इस आयोजन व बीकानेर की साख बढ़ाई है।