रालोपा के लिए भाजपा में दरवाजे बंद, क्या लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के साथ जायेंगे हनुमान
RNE, BIKANER .
भाजपा ने राजस्थान में नागौर व बाड़मेर लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार के रालोपा से गठबंधन की सभी संभावनाओं को समाप्त कर दिया है। पिछला लोकसभा चुनाव भाजपा व रालोपा ने मिलकर लड़ा था और रालोपा को नागौर सीट छोड़ी थी। जहां से रालोपा सुप्रीमो हनुमान बेनीवाल चुनाव लड़कर जीते थे।
मगर बेनीवाल ने लोकसभा से इस्तीफा देकर खींवसर विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीते। अब भाजपा ने नागौर से ज्योति मिर्धा को उतार दिया है, जिनसे बेनीवाल का छतीस का आंकड़ा है। जाहिर है भाजपा रालोपा से गठबंधन नहीं चाहती। नागौर के अलावा रालोपा का दूसरा दावा बाड़मेर सीट पर है मगर वहां भी भाजपा ने केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी को उतार बेनीवाल के सारे रास्ते बंद कर दिए हैं। रालोपा का विधानसभा चुनाव में खास अच्छा प्रदर्शन भी नहीं रहा। पिछली बार इसके 3 विधायक जीते थे मगर इस बार केवल हनुमान बेनीवाल जीत सके हैं।
भाजपा से अब रालोपा का किसी भी तरह का तालमेल सम्भव नहीं। इस सूरत में अपना वजूद बचाने के लिए उनके पास अपने बूते चुनाव लड़ने या फिर कांग्रेस से तालमेल का रास्ता बचा है। कांग्रेस से उनकी पटरी आसानी से नहीं बैठ सकती क्योंकि उनके धुर विरोधी हरीश चौधरी पार्टी में अच्छी हैसियत रखते हैं। उनके दखल के कारण ही विधानसभा में तालमेल नहीं हुआ। अगर किसी तरह से कांग्रेस से बात भी बनती है तो बाड़मेर सीट तो हरीश चौधरी लेने नहीं देंगे। वो क्षेत्र उनका है। केवल नागौर की सीट पर बात बन सकती है। वो भी तब जब कांग्रेस आलाकमान तालमेल को राजी हो जाये तब।
इसमें कोई दो राय नहीं कि हनुमान बेनीवाल के पास पश्चिमी राजस्थान जिसे जाटलेंड कहा जाता है, वहां अच्छा वोट बैंक है। इतना वोट बैंक तो है कि वो हार- जीत के समीकरण को प्रभावित कर सकता है। जाट समाज के युवा वर्ग का एक बड़ा तबका उनके साथ है। आने वाले कुछ दिनों में ही रालोपा की रणनीति स्पष्ट होगी, अभी तक संभावनाओं के दरवाजे खुले हुए हैं। बेनीवाल भी कांग्रेस के रुख की प्रतीक्षा कर रहे हैं, भाजपा का रुख तो साफ हो ही गया है। कांग्रेस का रुख स्पष्ट होने के बाद ही वे अपने पत्ते खोलेंगे।
– मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘