राजस्थान में अफसरों के तबादलों की दिल्ली तक चर्चा, अब सीएमओ कर रहा छानबीन
- पता लगाया जा रहा है कि किसका तबादला किसकी डिजायर से, डिजायर की वजह क्या
आरएनई, नेटवर्क।
विधानसभा चुनाव से पहले राजस्थान के बीकानेर में हुआ एक तबादला काफी चर्चा में रहा था। हालांकि औपचारिक कारण तो चुनाव आयोग को शिकायत बताया गया था लेकिन पूरे शहर में यह बात थी कि तत्कलीन मुख्यमंत्री के ऐसे सलाहकार को अधिकारी ने बाइक पर घुमा दिया जो बीकानेर से टिकट चाहते थे। कुछ इसी तरह नई सरकार बनते ही तबादलों की जो सूचियां आ रही है उसकी चर्चा किसी शहर या प्रदेश तक नहीं वरन दिल्ली तक पहुंच गई है। अफसरों में चर्चा आम है कि तबादला है या ‘बदला’।
पहले एक दिव्यांग अधिकारी के तबादले की बात :
पीएचईडी के एक एईएन को खाजूवाला यानी भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीम से सटते पश्चिमी राजस्थान के इलाके से सीधे बांसवाड़ा भेजा गया है जो प्रदेश का दूसरा छोर है। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि तबादला यह जानते हुए भी हुआ है कि ये अधिकारी दिव्यांग हैं। ये महज एक उदाहरण है। एक ही अफसर के तीन से चार तबादले और खासतौर पर ब्यूरोक्रेट्स की बंपर लिस्टें पिछले कई दिनों से लगातार आ रही है।
विवाद की लिस्ट :
तबादलों में विवाद की सबसे बड़ी लिस्ट चूरू जिले की है जहां एक ही विधानसभा क्षेत्र तारानगर से एक ही जाति के बीसियों-अधिकारियों को जिले से बाहर दूरस्थ स्थानों पर भेज दिया गया। यह पूरी तरह राजनीति प्रेरित तबादला सूची बताई गई। विपक्ष ने इसे मुद्दा भी बनाया। इसी तरह कई अधिकारियों का अब तक कई बार तबादला हो गया। मसलन पूर्व सीएम के ओएसडी रहे देवाराम सैनी को सरकार बनते ही सबसे पहले 25 दिसंबर को एपीओ किया। इसके बाद सीधे बांसवाड़ा एडिशनल डिविजनरल कमिश्नर बनाकर भेजा। कुछ ही दिनों में वहां से हटाकर बीकानेर की यूनिवर्सिटी में रजिस्ट्रार बना दिया।
प्रधानमंत्री ने दी थी नसीहत :
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी तबादलों और डिजायर की राजनीति में नहीं पड़ने की नसीहत दी थी। कहा था, ‘जनप्रतिनिधियों को अधिकारियों के तबादले करने की सिफारिश से बचना चाहिए। उनसे अच्छा व्यवहार करें। अच्छा व्यवहार न करने की एक-दो शिकायतें भी मिली हैं।’
अब सीएमओ कर रहा छानबीन :
बताया जाता है कि दिल्ली तक कई शिकायतें पहुंचने के बाद अब सीएमओ तबादलों के हुई डिजायर्स की छानबीन कर रहा है। विभागों से भी पता लगाया जा रहा है कि कौनसा तबादला, किसकी डिजायर से हुआ।
डिजायर की वजह क्या है ?
बात सिर्फ विधायकों की डिजायर या सिफारिश तक नहीं है। कुछ अधिकारियों की कार्यप्रणाली की भी शिकायत मंत्रियों-विधायकों ने की है। ऐसे में माना जा रहा है कि अब दोनों तरह से परीक्षण किया जाएगा। इसके साथ ही सरकार की कोशिश होगी कि अगले एक से दो साल में तबादलों का आधार डिजायर की बजाय एक पॉलिसी हो।