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उप चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस में बदलेगा बहुत कुछ, भाजपा में स्थायित्त्व

RNE Network

राज्य विधानसभा की 7 सीटों में उप चुनाव के बाद प्रदेश की राजनीति में एक उबाल आ गया है। इन 7 सीटों में से भाजपा ने 5 सीटें जीत के 4 सीटों का इजाफा किया, ये बड़ी जीत मानी जानी चाहिये। इससे पहले 2 सीटों पर जब उप चुनाव हुए तो दोनों ही भाजपा हारी थी। उस हार का भाजपा ने पूरा बदला ले लिया।

वहीं कांग्रेस की इन 7 में से 4 सीट थी मगर वो 1 जीत सकी व अपनी 3 सीटें हार गई। इसे करारी हार माना जाना चाहिए। झुंझनु जैसी ओला परिवार की परंपरागत सीट पर कांग्रेस को करारी हार मिली। साफ है कि इस बार यहां जनता ने परिवारवाद को पूरी तरह नकार दिया। रामगढ़ सीट पर कांग्रेस का सहानुभूति का कार्ड भी नहीं चला। स्व जुबेर खान के पुत्र को टिकट दिया मगर हार मिली। देवली उणियारा सीट भी कांग्रेस को गंवानी पड़ी। सांसद हरीश मीणा यहां पार्टी को नहीं जितवा सके।

कांग्रेस की लाज बचाई केवल सचिन पायलट के वर्चस्व वाली दौसा सीट ने। यहां पायलट व सांसद मुरारीलाल मीणा की जोड़ी ने भाजपा को शिकस्त दी। यहां भी परिवारवाद हारा। भाजपा ने मंत्री किरोड़ीलाल मीणा के भाई को टिकट दिया, वो उन्हें जीता नहीं सके।

कांग्रेस को मिली करारी शिकस्त के बाद अब कांग्रेस में बड़े बदलाव निश्चित हो गए हैं। इस बार पार्टी ने पूरी तरह से ये चुनाव पीसीसी चीफ गोविंद डोटासरा व नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जुली के भरोसे छोड़ा हुआ था। सारी जिम्मेवारी उनकी थी, उसमें वे सफल नहीं हुए। डोटासरा झुंझनु, खींवसर में कोई कमाल नहीं दिखा सके तो जुली भी रामगढ़ सीट पार्टी के खाते में नहीं ला सके। कांग्रेस संगठन के स्तर पर बदलाव की तैयारी में थी, मगर उसे रोका हुआ था। अब लगता है कि कांग्रेस को साख बचा फिर से खड़ा होने के लिए कई बदलाव तुरंत ही करने पड़ेंगे। ब्लॉक से प्रदेश स्तर तक बड़ा बदलाव अब तय हो गया है।

राजस्थान में पार्टी वैसे भी साफ साफ दो खेमों में बंटी हुई है और आखिरकार किसी एक को तो कमान देनी ही पड़ेगी। लगता है इस करारी हार के बाद आलाकमान अब कठोर निर्णय लेने से भी नहीं चुकेगा। अब कांग्रेस की सूरत में बदलाव तय है। नया पावर सेंटर बनेगा।

भाजपा की सरकार को भी विपक्ष पर्ची सरकार कहकर उपहास करता था, अब उस पर लगाम लगेगी। भजन व मदन की जोड़ी ने बड़ी सफलता हासिल की है जिससे सरकार व संगठन को स्थायित्त्व मिलेगा। यहां भी भाजपा कड़ें निर्णय लेने से अब नहीं हिचगेगी। कई निर्णय जो अभी पार्टी टाल रही थी, अब संकोच में नहीं रहेगी। कई नेता जो बोझ है, उनको अब किनारे करने में संकोच नहीं करेगी। बदलाव तो भाजपा में भी तय है। कुल मिलाकर उप चुनाव परिणाम प्रदेश की सियासत को नई सूरत देंगे, ये निश्चित हो गया।



मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘ के बारे में 

मधु आचार्य ‘आशावादी‘ देश के नामचीन पत्रकार है लगभग 25 वर्ष तक दैनिक भास्कर में चीफ रिपोर्टर से लेकर कार्यकारी संपादक पदों पर रहे। इससे पहले राष्ट्रदूत में सेवाएं दीं। देश की लगभग सभी पत्र-पत्रिकाओं में आचार्य के आलेख छपते रहे हैं। हिन्दी-राजस्थानी के लेखक जिनकी 108 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है। साहित्य अकादमी, दिल्ली के राजस्थानी परामर्श मंडल संयोजक रहे आचार्य को  अकादमी के राजस्थानी भाषा में दिये जाने वाले सर्वोच्च सम्मान से नवाजा जा चुका हैं। राजस्थानी भाषा साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के सर्वोच्च सूर्यमल मीसण शिखर पुरस्कार सहित देशभर के कई प्रतिष्ठित सम्मान आचार्य को प्रदान किये गये हैं। Rudra News Express.in के लिए वे समसामयिक विषयों पर लगातार विचार रख रहे हैं।