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नेहरू की पुण्यतिथि पर गहलोत के बोल, बदलती राजनीति का संकेत तो नहीं कर रहे

RNE Political Desk.

प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में कल देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। सचिन पायलट स्टार प्रचारक हैं तो अभी देश में घूम घूमकर चुनावी सभाएं कर रहे हैं। वे पीसीसी नहीं आये। पीसीसी चीफ सहित अनेक पार्टी पदाधिकारियों व नेताओं की ड्यूटी पंजाब में लगी हुई है, वे वहां है। पंजाब में 1 जून को वोट पड़ने हैं।

इस बयान के मायने क्या : 

पूर्व सीएम अशोक गहलोत के पास अमेठी सीट के वरिष्ठ पर्यवेक्षक का जिम्मा था, वहां वोट पड़ गये। गहलोत राजस्थान में ही है। वे पीसीसी पहुंचे और पंडित नेहरू को श्रद्धा सुमन अर्पित किये। उसके बाद के उनके बयान से कांग्रेस की राजनीति में एक नई हलचल शुरू हो गई। गहलोत के बारे में ये कहा जाता है कि वे कोई भी बयान बिना सोचे समझे नहीं देते। उनके हर बयान के रणनीतिक मायने होते हैं।

अब इन्हें कहा, निकम्मे-नाकारा, वजह ये : 

उन्होंने पीसीसी में कहा कि जो कांग्रेस छोड़कर गये हैं वे नाकारा, निकम्मे हैं। उनका जाना अच्छी बात है। ये ही शब्द उन्होंने कांग्रेस की भीतरी लड़ाई के समय भी कहे थे। वही शब्द कल इस्तेमाल करना, एक तल्खी की फिर से अभिव्यक्ति है। अपनी सरकार बचाने की जद्दोजहद के समय कहा, अब फिर कहा है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि ये दूसरे नेताओं के पिछले दिनों में दिए गए बयानों का जवाब है और उकसाकर कुछ बुलवाने का प्रयास भी। क्योंकि सब जानते हैं, लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद प्रदेश में पार्टी बदलाव करेगी। उसकी भावभूमि बनाई जा रही है।

युवाओं को मौका :

इसे कुछ लोग एक बार फिर पार्टी के भीतर वर्चस्व का संघर्ष भी मान रहे हैं। चुनाव परिणाम चाहे कुछ भी रहे, बदलाव निश्चित है। उसके लिए पिच अभी से तैयार हो रही है, ये बयान भी उसी परिपेक्ष्य में आंका जा रहा है। हालांकि, अपनी बात में उन्होंने एक और राजनीतिक संकेत दिया। युवाओं के लिए गहलोत ने कहा कि आने वाला समय आपका है। ये भी बड़ा बयान है और इसके भी कई राजनीतिक मायने हैं।

भीतरी संघर्ष फिर उभरेगा!

लोकसभा चुनाव के समय भी कांग्रेस के नेताओं की तल्खी भीतरी तौर पर खत्म नहीं हुई थी। नेता अपने अपने पसंद के उम्मीदवारों के क्षेत्र में चुनाव प्रचार के लिए गये। जहां नहीं जाना था, नहीं गये। गहलोत के बयान के बाद अब प्रतीक्षा है सचिन पायलट या उनके साथ के किसी नेता के बयान की। उसमें क्या कहा जाता है, उससे धुंधली तस्वीर कुछ और स्पष्ट होगी।

पलटवार : मिर्धा-मालवीय ने गहलोत को ही घेरा 

दूसरी  ओर रिछपाल मिर्धा ने गहलोत पर पलटवार किया। बोले,   निकम्मा, नाकारा और गद्दार शब्द तो आप पहले भी कांग्रेस के लोकप्रिय नेताओं के लिए बोल चुके हैं। हमने तो मान-सम्मान बचाने के लिए कांग्रेस छोड़ी। गहलोत की परफॉरमेंस का पता जालोर में चलने वाला है।

कांग्रेस सरकार के पूर्व मंत्री और बांसवाडा-डूंगरपुर लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी महेन्द्रजीत मालवीय ने कहा कि राहुल गांधी और सोनिया गांधी के दूत को बैरंग लौटाने वाले गहलोत ही थे। नेताओं की राजनीतिक हत्या करने वाले कौन थे, वो जनता जानती है।

सार ये है :

कुल मिलाकर कांग्रेस का भीतरी संघर्ष एक बार फिर उभर रहा है और राज्य में वर्चस्व के लिए टकराहट शुरू हो रही है। आलाकमान इस बार क्या फार्मूला निकालता है, सबकी उस पर नजर है। चुनाव परिणाम के बाद कांग्रेस की चाय के प्याले में तूफान की भूमिका अभी से बननी शुरू हो गई है।


  • मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘