चिंता से चिंतन की यात्रा भागवत है – प्रभु प्रेमी
आरएनई ,नोखा।
मनुष्य मात्र को सत्य का आश्रय आश्रय लेकर परोपकार करते हुए प्रभु सुमिरन में समय देना चाहिए यही कल्याण का मार्ग है। यह विचार शुक्रवार को राधा देवी लाहोटी के सौजन्य से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में कथा वाचक कन्हैया लाल पालीवाल प्रभु प्रेमी महाराज ने रखें। महाराज ने भागवत कथा के महात्म्य का वर्णन करते हुए कहा कि मनुष्य को मन व बुद्धि को सुधारना चाहिए बुद्धि सुधरेगी तो आचरण सुधरेगा, चिंता छोड़कर सद कर्मों का चिंतन करना चाहिए। भागवत चिंता से चिंतन तक की यात्रा है।
चिंता व भय को दूर कर आनंद, भक्ति, ज्ञान ,वैराग्य श्रीमद् भागवत से प्राप्त होते हैं। इससे पहले भव्य मंगल कलश यात्रा बैंड बाजों की मधुर कीर्तन सुर लहरियों के साथ बागड़ी शिव मंदिर से रवाना हुई। कलश यात्रा में भागवत आचार्य कन्हेयालाल पालीवाल प्रभु प्रेमी रथ पर विराज रहे थे। रास्ते में भक्तों ने पुष्प वर्षा कर स्वागत किया। नृत्य किया। भगवान का जयघोष किया।
सीताराम लाहोटी ने बताया कि कथा दोपहर 2 बजे से शाम को 5 तक प्रतिदिन होगी। प्रसंग अनुसार सुप्रसिद्ध भजन गायको द्वारा भक्ति संगीत की प्रस्तुति दी जाएगी वह झांकियां भी सजाई जाएगी। आयोजक श्रीमती राधा देवी, जुगल किशोर, नंदकिशोर, राजू, संतोष, सीताराम आदि व्यवस्था में लगे रहे। हनुमान व्यास, देवकिशन व्यास, ओमप्रकाश जोशी, मोहनलाल बंग, बालू राम प्रजापत, रामेश्वर छीपा ,श्याम सुंदर आदि ने भी व्यवस्था में सहयोग किया।