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BIKANER : जुलाई के एक दिन में इतनी बारिश पिछले 10 सालों में नहीं हुई

  • बारातों का खाना डूबा, टैंट उड़े, दूल्हा-दुल्हनों को थामकर जैसे-तैसे फेरे करवाये
  • पानी-पानी शहर में बर्बादी, बवाल और प्रशासन से टकराव

RNE, Bikaner.

बीकानेर एक बार फिर पानी-पानी है लेकिन इस बार बारिश के रिकॉर्ड टूट गये हैं। रात को लगभग डेढ़ घंटे में 56.2 मिमी बारिश हुई। इसे बीते 24 घंटों यानी एक दिन की पूरी बारिश के साथ देखें तो जिले में बारिश का आंकड़ा 60 मिमी यानी छह सेंटीमीटर हो गया। बीते 10 सालों के ज्ञात रिकॉर्ड के मुताबिक जुलाई महीने के एक दिन में इतनी बारिश कभी नहीं हुई। माना जा रहा है कि यह सिर्फ 10 सालों का रिकॉर्ड ही नहीं है वरन जुलाई में अब तक एक दिन की अधिकतम बारि में से एक हैं।

बीते 10 सालों में जुलाई में किस, दिन सबसे ज्यादा बारिश:

एक दिन में दोगुना हो गई मानसूनी बारिश:

दरअसल राजस्थान में एक जून से 30 सितंबर के बीच होने वाली बारिश को मानसूनी बारिश मानते हैं। इसमें मानसून के साथ ही प्री और पोस्ट मानसून तीनों तरह की बारिश शामिल हो जाती है। मौसम विभाग के लिहाज से देखें तो एक से 11 जुलाई तक बीकानेर में औसतन 61.15 मिमी बारिश होती है। इससे इतर इस बार 11 जुलाई तक 63.15 मिमी बारिश हो चुकी थी। मतलब यह कि मानसूनी बारिश का आंकड़ा लगभग सामान्य चल रहा था। इस बीच 11 और 12 जुलाई की दरमियानी रात आई 56.2 मिमी बारिश ने बारिश के आंकड़े को लगभग दोगुना कर दिया। हालांकि यहां यह बता देना वाजिब होगा कि बीते साल 11 जुलाई तक 108.78 मिमी बारिश हो चुकी थी। ऐसे में देर रात की बारिश के बाद कम से कम बीकानेर पिछले साल की बारिश से थोड़ा आगे निकल गया है।

50 किमी रफ्तार वाली हवा ने शादियों को धो दिया:

यूं तो एकबारगी शाम को 07ः40 से 08ः20 बजे तक बारिश हुई लेकिन इस दौरान रफ्तार बहुत तेज नहीं थी। रात लगभग 11: 08 मिनट पर शुरू हुई बारिश ने कुछ ही मिनटों में मूसलाधार का रूप ले लिया। बारिश शुरू होने के साथ ही 45 से 50 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार से उत्तरपूर्वी हवाएं चली। ऐसे में तूफानी बारिश का सबसे पहला और बड़ा असर शादियों पर पड़ा। चौमासे से पहले इस सीजन के आखिरी सावे चल रहे हैं। ऐसे में बीती रात भी बीकानेर में सैकड़ों शादियां थी। लगभग हर जगह शादी के टैंट उखड़ गये। खाने के मैदान में पानी भर गया।

बत्तियां गुल होने के साथ ही कई जगह जेनरेटर भी पानी में डूबने के कारण बिजली बंद करनी पड़ी। कुछ जगह जेनरेटेर से जोड़े गये तार और लाइटें तक उड़ गई। ऐसे में अंधेरा, बारिश, हवा, खाने के मैदान में भरा पानी और फेरों के लिये लगाये गये चंवरी वाले शामियाने तक उड़ गये। बारिश थमने के बाद जैसे-तैसे इंतजार कर दुल्हा-दुल्हनों को फेरे दिलाये गये।

रात को ही पूरा शहर पानी-पानी हो गया:

तेज बारिश रात लगभग 11:08 मिनट पर शुरू हुई तो 12ः30 बजे तक चली। इस दौरान रात में ही पूरा शहर पानी-पानी हो गया। कोटगेट पर तीन से चार फीट तक पानी तेज नदी के रूप में बहने लगा। रात में जो लोग काम से लौटै या ट्रेन-बस के जरिये बाहर से आये उनका परकोटे में प्रवेश लगभग बंद हो गया। पानी जूनागढ़ और नगर निगम के आगे भी जमा हो चुका था और कलेक्ट्रेट में भी भरा था।

जयपुर रोड की तरफ से आने वालों के लिए पंचशती सर्किल, पीबीएम हॉस्पिटल के आगे का रास्ता बंद हो चुका था। आंबेडकर सर्किल से रानीबाजार की ओर आवाजाही के बने बने आरयूबी में भी तीन से चार फीट तक पानी आ गया। पीबीएम हॉस्पिटल परिसर भी पानी से भर गया। बीकानेर परकोटे में भी एमएलए जेठानंद व्यास के घर के आगे से बरसाती नाला बहा और सड़क, नाला, दीवारें तोड़ते हुए पानी बहा। धरणीधर मंदिर परिसर की बड़ी दीवार ढह गई और चौक का एक हस्सा धंस गया। कमोबेश ऐसे ही हालात शहर में हर जगह दिखे।

इसलिये सूरसागर इलाके में सबसे बुरे हालात:

शहर में बारिश के कारण सबसे बुरे हालात सूरसागर इलाके में नजर आये। यहां धोबीधोरा की ओर जाने वाली सड़क के नीचे से पानी का इतना तेज दबाव आया कि सूरसागर की रैलिंग टूटी। दीवार ढही। सड़क धंसी और सड़क से लगभग छह फीट नीचे से नाले में बहता पानी सूरसागर तालाब में जा पहुंचा। घरों के आगे सड़क खोखली हो जाने के बाद कई घरों के धराशायी हो जाने का खतरा पैदा हो गया।

हंगामा, विवाद और पुलिस-पब्लिक में तनातनी:

इस बड़े खतरे के साथ ही यह आरोप सामने आया कि इस इलाके के लोग पूरी रात प्रशासन का इंतजार करते रहे। फोन करते रहे। किसी ने सुध नहीं ली और अंधेरे, बारिश, तूफान के बीच धंस रही सड़क के किनारे बने घरवालों ने पूरी रात जागते, डरते गुजारी। सुबह लोग सड़क पर एकत्रित हो गये। इलाके के पार्षद महेन्द्रसिंह मौके पर पहुंचे। उन्होंने भी अधिकारियों को कई फोन किये। आखिरकर नौ बजे एक तहसीलदार आये तो लोगों को गुस्सा फूटना लाजिमी था।

अधिकारी की बात से संतुष्ट नहीं हुए लोगों ने उन्हें पंप हाउस में बंद कर दिया। यहीं से हंगामा बढ़ना शुरू हुआ। रातभर परेशानी में डूबे लोगों से मिलने एक भी अधिकारी नहीं आया लेकिन यह वाकया होते ही पुलिस फोर्स सहित अधिकारियों का लवाजमा पहुंच गया। सबसे पहले पार्षद को घसीटते हुए थाने ले जाया गया। यह दुखी, पीड़ित प्रदर्शनकारियों के लिये अघोषित चेतावनी जैसी थी। घटना की जानकारी मिलने के बाद समीपस्थ वार्ड के पार्षद कांग्रेस नेता आनंदसिंह सोढ़ा मौके पर पहुंचे। वे इलाके के लोगों के साथ सदर थाना गये लेकिन हिरासत में लिये गये पार्षद को नहीं छोड़ा गया। आखिरकार कई नेता कलेक्ट्रेट में एकत्रित हुए। इनमें पार्षद भी थे और देहात कांग्रेस के अध्यक्ष बिशनाराम सियाग भी।

यहां फिर हंगामा हो गया। प्रदर्शनकारी कांग्रेस नेता-पार्षद कलेक्टर से मिलने जाना चाहते थे लेकिन प्रशासन ने कलेक्टर ऑफिस के आगे भारी पुलिस जाब्ता तैनात कर दिया। पानी से भरे कलेक्ट्रेट को पार कर ये नेता ज्योंहि कलेक्टर ऑफिस की सीढ़ियों के पास पहुंचे इन्हें आरएसी के जवानों ने रोक लिया। बाकायदा धक्का-मुक्की होने लगी। एकबारगी लगा डंडे बरसने वाले हैं लेकिन इस बीच एक पुलिस अधिकारी दौड़ते आये और बीच-बचाव कर नेताओं केा कलेक्टर के कक्ष तक ले गये। वार्ता हुई, नतीजा क्या रहा इन सवालों से परे साफ लगा कि कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। कांग्रेस नेता बाहर निकलकर बोले, जल्द राहत नहीं मिली तो आंदोलन तेज करेंगे।