
Bikaner: युवा रचनाकारों ने किया राजस्थान व मायड़ भाषा की महिमा का बखान
RNE Bikaner.
राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी की ओर से राजस्थान दिवस की पूर्व संध्या पर शनिवार को अकादमी सभागार में ‘राजस्थानी युवा काव्य-गोष्ठी’ का आयोजन किया गया। इस दौरान 11 युवा रचनाकारों ने अपनी कविताओं के माध्यम से राजस्थान व राजस्थानी भाषा की महिमा का बखान करने के साथ समसमायिक विषयों को भी प्रस्तुत किया।इस अवसर पर अकादमी सचिव शरद केवलिया ने कहा कि बीकानेर के राजस्थानी युवा रचनाकारों के लेखन में अपार संभावनाएं हैं, इनकी कविताओं में मायड़ भाषा गौरव, मातृभूमि प्रेम, नारी सशक्तीकरण आदि के साक्षात दर्शन होते हैं।
वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने कहा कि एक मंच पर इतने बेहतरीन युवा कवि-कवयित्रियों को सुनना सुखद अनुभव रहा। प्रो. अजय जोशी ने कहा कि युवा पीढ़ी राजस्थानी में बेहतरीन लेखन कर रही है। शंकरसिंह राजपुरोहित ने कहा कि अकादमी ने राजस्थानी युवा कवियों को मंच प्रदान कर अनुकरणीय कार्य किया है। जुगल किशोर पुरोहित ने कहा कि इन कविताओं में वर्तमान परिवेश का बखूबी चित्रण किया गया है। कार्यक्रम संयोजक डॉ. नमामी शंकर आचार्य ने संचालन करते हुए बीकानेर की समृद्ध साहित्यिक परम्परा पर प्रकाश डाला।कविताओं से किया मंत्रमुग्ध- ‘राजस्थानी युवा काव्य-गोष्ठी’में सुधा सारस्वत ने अपनी कविता ‘आ माटी है बळिदानां री, पूनमचंद गोदारा ने राजस्थानी गजलों, सोनाली सुथार ने कविता ‘खिड़की’, राघव पुरोहित ने हाइकू, अक्षिता जोशी ने ‘मानखै री तासीर’, आरती छंगाणी ने ‘म्हारी भासा प्यारी भासा’, आनंद पुरोहित ‘मस्ताना’ ने ‘अब तो नार बणी तलवार’ सहित योगेश व्यास ‘राजस्थानी’, कपिला पालीवाल, रेणु प्रजापत, रामावतार उपाध्याय ने अपनी कविताओं से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
इस अवसर पर युवा रचनाकारों को अकादमी की ओर से स्मृति चिन्ह प्रदान किये गये, साथ ही वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मदन केवलिया की राजस्थानी आत्मकथा ‘सिंध दरियाव सूं धोरां री धरती तांई’ भी भेंट की गयी। सूचना सहायक केशव जोशी ने आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम में श्रीनिवास थानवी, सुनील गज्जाणी, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, कानसिंह, मनोज मोदी, शिवशंकर उपाध्याय, कमल मारू, राजेश चौधरी, पवन सैन, एडवोकेट राजेश बिश्नोई, विप्लव व्यास, लक्ष्य रंगा, दुष्यन्त गोदारा उपस्थित थे।