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राज्य के उप चुनाव से जुड़ी भाजपा की साख, कल किया मंथन, कांग्रेस एक कदम आगे

आरएनई,स्टेट ब्यूरो। 

राज्य में 5 विधानसभा सीटें रिक्त है और चुनाव आयोग ने उसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी है। चुनाव की तारीखों का ऐलान अभी होना बाकी है। कांग्रेस ने अधिसूचना जारी होते ही उम्मीदवारों के चयन के लिए समिति बनाकर लीड ले ली। तब तक भाजपा तो लोकसभा चुनाव में हुई हार की समीक्षा करने में ही लगी हुई थी। हरीश मीणा, मुरारीलाल मीणा, ब्रजेन्द्र ओला, हनुमान बेनीवाल व राजकुमार रोत के सांसद बन जाने के कारण रिक्त हुई इन विधानसभा सीटों पर उप चुनाव होने हैं। पांच में से एक भी सीट वर्तमान में भाजपा के पास नहीं है।

 

इन उप चुनावों से भाजपा अपनी खोई हुई साख फिर से हासिल करना चाहती है और कल से उसने इसके लिए कवायद भी आरम्भ कर दी है। कल प्रदेश भाजपा कार्यालय में पांचों सीटों को लेकर मंथन हुआ जिसमें प्रदेश अध्यक्ष सी पी जोशी व प्रदेश सह प्रभारी विजया राहटकर भी उपस्थित थे। इस बैठक में प्रदेश पदाधिकारी, कई मंत्री व सम्बंधित जिलों के पदाधिकारी भी शामिल थे। सांसद का चुनाव लड़े नेताओं को भी बुलाया हुआ था। ज्योति मिर्धा, जौनपुरिया आदि बैठक में थे।

टोंक लोकसभा की देवली उणियारा सीट से हरीश मीणा जीते हुए हैं और यहां चुनाव होना है। इसलिए सीएम भजनलाल शर्मा ने भी इस सीट पर फोकस किया है। कल टोंक में ही आयोजन कर किसानों की सहायता राशि आवंटित करने का राज्य स्तरीय आयोजन किया। इससे पहले शनिवार को झुंझनु में रोजगार देने का प्रदेश स्तरीय आयोजन किया। उस सीट पर भी उप चुनाव होना है। सरकार व भाजपा संगठन मिलकर पांचों सीटों पर फोकस कर रहे हैं, यही साख बचाने का प्रयास है।

देवली उणियारा, दौसा सीटों के लिए भाजपा ने किरोड़ीलाल मीणा, जसकौर मीणा को भी साथ लिया है। वहीं खींवसर सीट के लिए ज्योति मिर्धा को साथ लिया है। मंत्री अविनाश गहलोत, सुमित गोदारा आदि को भी जातिगत समीकरण ध्यान में रख उप चुनाव में जिम्मेवारी दी जा रही है। दो बार 25 की 25 सीटें जीतने के बाद भाजपा इस बार लोकसभा में 11 सीटें हार गई। जिससे सरकार व संगठन को धक्का लगा है।

खोई साख तभी वापस आ सकती है जब इनमें से कुछ सीटों को जीता जाये। कांग्रेस उप चुनाव की तैयारी में एक कदम आगे है। अंदरखाने उसने उम्मीदवारों का पैनल बना लिया है। इससे पहले राज्य में हुए दो उप चुनाव भाजपा पहले ही हार चुकी है, इसलिये इन 5 सीटों को लेकर गम्भीर है।


— मधु आचार्य ‘ आशावादी ‘